“खबर है कि नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ में एक युवक की दिनहाड़े हुई हत्या के बाद भीड़ द्वारा घोषित एक हत्यारा व पुलिस की पिटाई मामले में कुल 34 नामजद समेत करीव 500 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इस मामले में अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। इस समूचे दुःखद वारदात में कई रोचक व सनसनीखेज तत्थ उभरकर सामने आये हैं। उसमें एक है कि भीड़ के भय से भाग एक मकान में घुसे हत्यारोपी युवक को पहले तल्ले की बालकॉनी से किसने फेंका। भीड़ ने? उसके इंसाफ ने? इसे भीड़ का इंसाफ कहना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
अगर उसे भीड़ ने फेंका या फिर उसका कथित इंसाफ कहें तो फिर फेंकने से चंद सेकेंड पूर्व उसी बॉलकॉनी में संबंधित थाना के पुलिस अफसर (थाना प्रभारी) केशव कुमार मजूमदार क्या कर रहे थे? तब उनके साथ पुलिस बल भी थी। इसे बारीकी से समझने की जरुरत है। या तो भीड़ के दबाव में या फिर किसी भी मंशा से हत्यारोपी को नीचे फेंकने में इस पुलिस अफसर की काफी संदिग्ध भूमिका है।
एक युवक की सरेराह गोली मार कर नृशंस हत्या और उसके बाद के भीड़-पुलिस के माजरे को लेकर सोशल ग्रुपों में कई वीडियो वायरल हुये, जिसकी सत्यता को कोई चुनौती नहीं दे सकता। बोलती तस्वीरें सब कुछ बयां करने वाली है।
कुछ लोगों ने यह खबर फैलाई कि भीड़ ने जबरन हत्यारोपी युवक को नीचे जलती आग में फेंका। लेकिन तस्वीरें साफ बताती है कि उपर से फेंके जाने के बाद हत्यारोपी युवक सीधे नाली पर गिरा। वहां भीड़ में शामिल कुछ युवकों ने पिटाई की। फिर उसे पास जलती आग में डाल दिया।