‘यहां अनेक वर्ग की बच्चे-बच्चियां एक साथ जमीन पर बैठ पठन-पाठन को विवश हैं। प्यास लगता है तो बच्चे स्कूल से बाहर चापाकल पर जाकर प्यास बुझाते है। स्कूल में बना एक शौचालय बिना छत का है। उसमें गंदगी के कारण शौच्य क्रिया के लिए बच्चों को खुले में या फिर घर जाना पड़ता है….”
इस्लामपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड-अंचल बाजार स्थित उत्क्रमित मध्य विधालय शिशु कल्याण केंद्र में शिक्षकों व उपस्करों का घोर अभाव है। यहां अनेक वर्ग की बच्चे-बच्चियां एक साथ जमीन पर बैठ पठन-पाठन को विवश हैं।
हेडमास्टर मसुदुर रहमान ने बताया कि शिक्षकों की युनिट 11 है। जिसमें कार्यरत 9 शिक्षक है। दो रिक्त पड़ा है। जबकि छात्र व छात्राओं की संख्या 410 है। इसके अलावे एक तालीम मरकज और एक टोला सेवक है।
यहां कमरा की संख्या 8 है। जिसमें दो कमरा की हालत जर्जर है। शिक्षकों के अभाव के अलावे उपस्कर की कमी है। बच्चे कमरा के जमीन पर बोरा बिछाकर बैठते है और शिक्षा ग्रहण करते है।
उन्होने बताया कि एक चापाकल है। जिसका पानी ठीक नहीं है। इस कारण बच्चें पानी पीने स्कूल से बाहर जाते है। यहां एक शौचालय है। रसोइया की संख्या 6 है। नल से मिले जल की सुविधा इस स्कूल में नहीं रहने से पेयजल का किल्लत है।
इतना ही नहीं, इस स्कुल के भवन में एक आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे के अलावे प्राथमिक विधालय मुर्गीयाचक के स्कुल का भवन जर्जर रहने कारण विभाग के द्धारा उस स्कुल के शिक्षको समेत बच्चो को भी जुलाई माह में इसी स्कूल के कमरा में पढ़ने के लिए संचालित कर दिया गया है। इस कारण उस स्कूल के लगभग 125 बच्चे इस स्कूल के भवन में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इस स्कूल के छात्रा स्वीटी कुमारी, सलोनी कुमारी, मोनी कुमारी, सोनी कुमारी ने बताया कि प्यास लगता है तो स्कूल से बाहर चापाकल पर जाकर प्यास बुझाते है। क्योंकि स्कूल की चापाकल का पानी खारा है। वहीं स्कूल में बना एक शौचालय बिना छत का है। उसमें गंदगी के कारण शौच्य क्रिया के लिए घर जाना पड़ता है।
हेडमास्टर ने बताया कि इन समस्याओं के बारे में विभाग को सूचना दिया गया है। लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है।
जबकि समाजसेवी राजगोपाल प्रसाद ने बताया कि नालंदा जिलाधिकारी को सूचना देकर पेयजल जैसी समस्याओं से इस वार्ड के लोगो को निजात दिलवाने का मांग किया गया है।
वहीं, बीइओ रघुनंदन चौधरी ने बताया कि विभाग को सूचना दिया जाएगा। ताकि स्कूल की व्यवस्था में सुधार हो सके। ताकि स्कूली बच्चों को परेशानी का सामना करना नहीं पड़े।