लेकिन खुद सीएम रघुवर दास ने कानून तोड़ा है। बिना हेलमेट पहने आम सड़कों पर बिचरते रहे। इस दौरान कहीं भी ट्रैफिक वालों ने कोई रोक-टोक नहीं की। सिपाही की क्या औकात ट्रैफिक एसपी तक सलामी ठोकते नजर आये।
सीएम की इस हरकत को मीडिया ने अपने-अपने तरीके से खूब महिमामंडन किया है। मानो वे बिना हेलमेट के मिसाल कायम कर रहे हों।
सरकारी टुकड़ों पर पलने वाले न्यूज चैनलों ने तो हद कर दी। उसने सीएम की इस हरकत की आलोचना के बजाय ‘मुकद्दर का सिकद्दर’ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सबसे शर्मनाक स्थिति रांची की अखबारों की नजर आती है। यहां के किसी भी अखबार ने सीएम द्वारा कानून का उलंघन के बारे में दो शब्द भी नहीं लिखे। अगर कोई कुछ लिखा भी तो ऐसी जगह पर डाल कि किसी की नजर ही न जाये।
बड़े समाचार पत्रों ने तो ऐसी शीर्षकों के साथ लगाया है कि उसे पढ़ने वाले ही शर्मसार हो जाये।
गलतियां होती है, उन ब्यूरों, समाचार संपादकों, स्थानीय संपादकों, कार्यकारी संपादकों, कारपोरेट एडिटरों व प्रधान संपादकों की, जिनका काम सरकार की हर गलत कामों पर पर्दा डालना तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास की इमेज को चमकाना। ’
कभी महेन्द्र सिंह धौनी के गाड़ी को भी कानून के शिंकजे में ले लिया गया था। भाजपा कार्यकर्ता मुन्ना ठाकुर की नगर विकास मंत्री सी पी सिंह के सामने इज्जत उतार लिया गया था।
पर जब यहीं काम मुख्यमंत्री रघुवर दास किये तो सारे अखबार मुख्यमंत्री रघुवर दास के सम्मान में हाथ जोड़कर खड़े हो गये।’