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    Friday, December 27, 2024
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      सीएम नीतिश के ‘घर-आंगन’ चंडी में देखिये भ्रष्ट्राचार का उड़ता स्टेडियम!

      udta-stedium2नालंदा (जयप्रकाश नवीन )। सरकारी राशि का दुरूपयोग और उसका हश्र क्या होता है, इसका नजारा बिहार के सीएम नीतिश कुमार के घर-आआंगन में भी खूब दिखता है। चंडी में मिनी स्टेडियम को देखिये- कैसे जनहित की राशि अपनी हो जाती है। कैसे लाखों का काम का गोलमाल हो जाता है। कैसे लाखों की सरकारी राशि पानी में डूब जाती है।  लेकिन इससे किसी के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। न तो पदाधिकारी को न विधायक को। आखिर काम कराने वाले ज्यादातर संवेदक तो विधायक के ही हितैषी जो ठहरे।

      चंडी के ह्दय स्थली बापू हाईस्कूल के मैदान पर निर्मित 40 लाख का मिनी स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गया। खंडहर बना  स्टेडियम अपनी बदहाली पर आठ -आठ आँसू बहाने को विवश है। अराजक लोगों का अड्डा बनकर रह गया है पूरा स्टेडियम। यहां नशेडियों और जुआरियों का अड्डा बना हुआ है। चंडी का मिनी स्टेडियम। कहें तो नशेडियों ने उड़ता स्टेडियम बना रखा है। यह स्टेडियम पूरी तरह खंडहर बन चुका है। यह सटेडियम थाना की बाउंड्री के ठीक पार अवस्थित है।

      चंडी के इस मैदान की काफी महता रही है। आजादी की लड़ाई का संघर्ष का गवाह रहा है यह मैदान। इसी मैदान पर 16 अगस्त 1942 को चंडी थाना पर झंडा फहराने के दौरान गोखुलपुर के एक युवक बिन्देश्वरी सिंह पुलिस की गोली से शहीद हो गए थे। कभी बिहार और बंगाल रणजी टीम के खिलाड़ियों ने अपने जलवे इस मैदान पर दिखाए थे।

      राजनीतिक रूप से भी इस मैदान का काफी महत्व रहा है। राजनीतिक रैलियों और भाषणों का गवाह रहा है। कभी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व डीप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी देवीलाल, रामटहल चौधरी, जार्ज फर्नाडींस, बिहार के कई पूर्व सीएम में डा0 जगन्नाथ मिश्र, बिन्देश्वरी दूबे, लालू प्रसाद, राबडी देवी सहित कई जानी मानी हस्ती इस मैदान पर उतर चुके हैं।

      वर्तमान सीएम नीतीश कुमार के लिए यह मैदान काफी पसंदीदा और लकी रहा है। जिस किसी को भी इस मैदान से जीत का आर्शीवाद दिया  वो जीता।

      वर्ष 1995 में इस मैदान पर कुछ कथित लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया था। मैदान पर घर-मकान बना लिया गया था। काफी जद्दोजहद के बाद मैदान को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था। लेकिन आज चंडी की यह ह्दय स्थली उपेक्षा का शिकार है।

      कितनी दुर्दिन की बात है कि जिस मैदान पर कभी अंतराज्यीय क्रिकेट और फुटबॉल के टुर्नामेंट हुआ करते थे,  वह आज यह मैदान अराजक तत्वों का अड्डा बना हुआ है।

      कुछ साल पूर्व इस मैदान पर मुख्यमंत्री खेल विकास योजना से मिनी स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव लाया गया था। स्टेडियम स्थल को लेकर खेल प्रेमियों और संवेदक में ठनी भी थी। लेकिन नियम कानून को ताक पर रख मिनी स्टेडियम का निर्माण शुरू कर दिया गया। udta-stedium1

      लगभग 40 लाख की राशि से बना यह मिनी स्टेडियम आज खंडहर में तब्दील है। अराजक लोगों का अड्डा बना हुआ है।

      खिड़की दरवाजे का पता नहीं, न शौचालय ठीक से बना और न ही पानी-बिजली की व्यवस्था हुई। स्टेडियम के खिड़की -दरवाजे गायब हो गए। शौचालय की टंकी नहीं बनी।

      यहां तक कि स्टेडियम के पिछले हिस्से में प्लास्टर  तक नही हुआ। स्टेडियम के निर्माण शुरू होने के समय ही इसकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में रही। पुरानी दीवार पर ही चहारदीवारी बना दी गई। मुख्य दरवाजे पर न तो गेट लगा और न ही ट्रैक बना।

      यहां तक कि स्टेडियम आधा अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया। इसके निर्माण के दौरान मैदान में जगह -जगह गड्डे बन गया। संवेदक मैदान को बदहाल छोड़ चले गए। यहां तक कि एक बोर्ड भी नही लग सका।

      आखिर स्टेडियम का निर्माण किस मद से किया गया और कितनी राशि से निर्माण हुआ। लेकिन खेल प्रेमी अपने बल बूते मैदान की मरम्मत कराकर क्रिकेट टुर्नामेंट का आयोजन करा रहे हैं।

      सबसे बड़ी बदहाली इस स्टेडियम का यह रहा कि आज तक इसका न उद्घाटन हुआ और न ही कोई मैच का आयोजन हो सका। स्कूल प्रबंधन ने भी स्टेडियम का कोई खोज खबर नहीं ली। जबकि एक समय था बापू हाईस्कूल के छात्रों ने खेल में अपना धमाल मचा रखा था।

      जबसे इस मैदान पर स्टेडियम का निर्माण हुआ, तबसे यह मैदान अराजक तत्वों की गिरफ्त में है । नशेडियों की जमात दिन रात लगी रहती है। कोई मैदान में गिट्टी बालू गिराए हुए है तो कोई मौदान को निजी स्कूलों के वाहन पड़ाव बना रखा है। बरसात के दिनों में पानी का निकास नहीं होने से झील बना रहता है।

      चंडी मैदान के सौंदर्यीकरण में हमेशा लगे रहने वाले शंभु राज ,पंकज कुमार, जितेन्द्र, उदल आदि ने बताया कि लाखों रूपये खर्च कर स्टेडियम बनाया तो गया लेकिन इसका लाभ खेल प्रेमियों को नहीं मिला । मैदान सिकुड भी गईं और एक भी बड़ा टुर्नांमेंट चार साल से नहीं हुआ है। स्टेडियम खंडहर बन गया है। एक समय शाम को महिलाएँ मैदान में घूमने भी आती थी, लेकिन अराजक तत्वों की वजह से मैदान में उनका आना बंद हो गया है ।

      अब तो मैदान में नशेडियों ने साम्राज्य कायम कर रखा है।यानी उड़ता पंजाब के बाद उड़ता स्टेडियम। यहां खासकर स्कूली बच्चे पॉलिथिन में फेविस्टिक, मार्कर स्याही ,जूते चप्पल और इलेक्ट्रॉनिक समान चिपकाने वाली सामग्री की इस्तेमाल करते हैं ।

      आखिर कब तक सरकारी राशि और योजनाएँ दम तोड़ती रहेगी और हमारे हुक्मरान और पदाधिकारी तमाशबीन बने रहेंगे। यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है ।

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