एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। समूचे बिहार में लच्चर शिक्षा व्यवस्था के बीच राज्य विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा इंटरमीडिएट की परीक्षा ली जा रही है। इस दौरान नालंदा जिले में यत्र-तत्र भारी लापरवाही और अनियमियता उजागर हो रहे हैं।
आलम यह है कि कहीं जीव विज्ञान की जगह उधमिता विषय के प्रश्न पत्र बांट दिये गये। कहीं अंग्रेजी एवं हिंदी का पेपर की जगह वीक्षक द्वारा गणित का पेपर उड़ेल दिये गये। ऐसी परीक्षा के बाद परिणाम कैसे आयेंगे, आसानी से समझे जा सकते हैं।
राजगीर स्थित आदर्श मध्य विद्यालय में साइंस की परीक्षा की जगह आर्टस के प्रश्न पत्र वितरित किये गये। जब परीक्षार्थियों ने इसकी सूचना वीक्षक को दी तो उसने जीव विज्ञान विषय की जगह मिले उद्दमिता विषय की परीक्षा देने से कोई परेशानी नहीं होने की बात कही। कुछ परीक्षार्थी उसी विषय की परीक्षा दे डाले। कुछ परीक्षार्थी घर वापस लौट गये। तो कुछ परीक्षार्थी ने दूसरी पाली में जीव विज्ञान विषय की परीक्षा दी।
सबाल उठता है कि जीव विज्ञान विषय के स्थान पर आर्टस के उद्दमिता विषय की परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के रिजल्ट किस तरह के आयेगें। दूसरी पाली में प्रथम पाली की परीक्षा लिया जाना किस कदाचार मुक्त परीक्षा के घोतक हैं। सबसे बड़ी बात कि जो परीक्षार्थी बिना परीक्षा दिये घर वापस लौट गये, उसके भविष्य की जिम्मेवारी किसकी है?
उधर सोहसराय स्थित किसान कॉलेज में वीक्षक के द्वारा गलत पेपर दिए जाने की शिकायत नालंदा डीएम से की गई है। डीएम ने कार्रवाई का आश्वसन दिया है।
कहते हैं कि बीते 14 फरवरी को किसान कॉलेज परीक्षा केन्द्र पर अंग्रेजी एवं हिंदी विषय की परीक्षा थी। लेकिन वीक्षक द्वारा गणित का पेपर बांट दिया गया। इसके बाद 12:15 बजे कॉपी बदलकर हिंदी एवं अंग्रेजी का पेपर दिया गया।
लेकिन परीक्षार्थीयों को इसके लिये अतिरिक्त समय नही दिया गया। इस कारण परीक्षार्थी समयाभाव वश सही से परीक्षा नहीं लिख सके। यहां के सभी परीक्षार्थी बिहारशरीफ सरदार पटेल कॉलेज की छात्राएं बताई जाती हैँ।
बहरहाल, सबसे गंभीर मामला राजगीर आदर्श मध्य विद्यालय परीक्षा केन्द्र की है। जब छात्राओं को जीव विज्ञान की जगह उद्दमिता विषय के प्रश्न पत्र देकर परीक्षार्थियों को परीक्षा देने को कहा गया तो अभिभावकों ने इसकी शिकायत अनुमंडल प्रशासन से की।
कहा जाता है कि राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी ने कुछ परीक्षार्थियों को आनन-फानन में पहली पाली की जीव विज्ञान की परीक्षा दूसरी पाली में दिलाया।
यही नहीं, राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी ने अपने मोबाईल नबंर से स्थानीय मीडिया से जुड़े लोगों से संपर्क कर इस मामले को दबाने का हरसंभव प्रयास भी किये। इसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे।
एक-दो अखबार को छोड़ कर प्रायः सभी अखबारों में इस मामले को लेकर काफी तोड़ मरोड़ कर सूचनाएं प्रकाशित हुये। उनमें डीएम स्तर तक के बयान लगा कर समाचार प्रकाशित किेये गये कि वह सब मानवीय भूल था, जिसे फौरिक तौर पर सुधार लिया गया।