एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। भारतीय निर्वाचन आयोग की अधिकारिक साइट http://eci.nic.in/eci/eci.html पर बिहार राज्य के नालंदा जिले के चुनावी प्रत्याशियों को लेकर आधी-अधुरी ही सही, जो जानकारी प्रकटीकरण की गई है, उसमें कई रोचक व गंभीर तथ्य देखने को मिल रहा है।
बिहार सरकार के एक कद्दावर मंत्री माने जाने वाले प्रत्याशी के डिटेल को पेंट या फोटोशॉप साफ्टवेयर के इस्तेमाल से वर्ष-2005 की जानकारी के पन्नों को काली स्याही से पूर्णतः ढक दिया गया है।
उसके बाद इस प्रत्याशी के वर्ष 2015 के डिटेल अपठनीय अवस्था में है। वर्ष 2010 के आम विधान सभा से जुड़ी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
जबकि अन्य प्रत्याशियों की जानकारी स्पष्ट रुप से देखने को मिलता है।
आलावे कई प्रत्याशियों के डिटेल भी काफी भ्रामक है। एक विधानसभा के विजयी प्रत्याशी ने शपथ पत्र में अपनी उम्र 42 वर्ष बताई है।
जबकि उसी शपथ में में दो बार जिक्र है कि उसने मैट्रिक की परीक्षा वर्ष-1984 और इंटरमेडिएट की परीक्षा वर्ष- 1986 में उतीर्ण की है।
उसके तीन साल बाद 10 साल की उम्र में मैट्रिक पास करने वाले इस विधायक ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उतीर्ण की है। साथ में एसएलबी की भी डीग्री ली है।
पुलिस सेवा से सीधे राजनिति में आकर पहली बार ही जीत दर्ज करने वाले इस प्रत्याशी की उम्र वर्ष-2015 में जब 42 साल है तो फिर उन्होंने ‘तथागत’ को मात देते हुये 10 साल की उम्र में ही मै़ट्रिक की परीक्षा कैसे उतीर्ण कर ली ?
चुनाव आयोग की साइट पर इस प्रत्याशी की चुनाव आय-व्यय खर्च का कोई डाटा भी उपलब्ध नहीं है।
जबकि आयोग का स्पष्ट आदेश है कि नामांकण करते समय की सारी जानकारी और चुनाव बाद आय-व्यय के खर्च के विवरण भी प्रकट कर दिये जाएं।
इस मामले में संबंधित निर्वाची पदाधिकारी द्वारा प्रस्तुत आकड़ों पर तत्काल नोटिश ली जा सकती थी या फिर उनकी उम्मीदवारी पर सबाल खड़े किये जा सकते थे या नहीं।
भारतीय निर्वाचन आयोग की साइट से जुड़े नालंदा जिला की अधिकृत वेबसाइट http://nalanda.bih.nic.in/ की सूचनाओं से सबसे अहम बात यह उभरकर सामने आई है कि यहां प्रायः विजयी प्रत्याशियों की जानकारियों में ही अधिक घालमेल नजर आती है।