“बिहार की राजनीति में भाजपा और जदयू के बीच सीएम पद के चेहरे के बीच तल्ख होते रिश्ते और सियासी बयानबाजी के बीच भाजपा ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर लिया है। कहने को तो बीजेपी राजनीति में वंशवाद को अपना शत्रु मानती है। लेकिन कहीं न कहीं बीजेपी भी इससे अछूती नहीं रही……………”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क ब्यूरो)। बेतिया से सांसद संजय जायसवाल अब बिहार बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष होंगे। इसके साथ ही नामों को लेकर लग रही कयासबाजी का दौर थम गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने पश्चिम चंपारण के सांसद संजय जायसवाल को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि जायसवाल वैश्य तबके से आते हैं और यह तबका काफी पहले से बीजेपी का वोट बैंक रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी ताजपोशी की गई है।
बिहार बीजेपी के नये अध्यक्ष संजय जायसवाल को राजनीति विरासत में मिली है। वें साल 2009 से लगातार पार्टी के सांसद चुने जाते रहे हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद से ही कई नामों की चर्चा थी। लेकिन, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संजय जायसवाल पर भरोसा जताया है और उन्हें ये अहम जिम्मेदारी सौंपी है। बता दें कि संजय जायसवाल बीजेपी के काफी पुराने नेताओं में से एक हैं। वें लगातार साल 2009 से पार्टी के सांसद हैं।
डॉ संजय जायसवाल बीजेपी के टिकट पर 2009 में पहली बार और 2014 में दूसरी बार सांसद चुने गए। लोकसभा चुनाव 2019 में भी उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की थी।
29 नवंबर, 1965 को जन्मे संजय जायसवाल दिवंगत नेता मदन प्रसाद जायसवाल के बेटे हैं। उनके पिता भी बेतिया से तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। संजय जायसवाल ने उनकी ही विरासत को आगे बढ़ाया है
54 साल के डॉ. जायसवाल पेशे से चिकित्सक भी है। उनकी पहचान कुशल चिकित्सक के रूप में भी होती है। इसके माध्यम से भी उन्होंने समाज की सेवा की है। उनकी पत्नी मंजू चौधरी भी इसी पेशे से जुड़ी हुई हैं।
पटना मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डॉ. संजय जायसवाल ने दरभंगा मेडिकल कालेज से एमडी किया। वे पटना एम्स के गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं। इसके अलावा वे सेंट्रल काउंसिल ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के भी सदस्य हैं।
डॉ. जायसवाल बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन, इस बार पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए प्रदेश की कमान सौंप दी है।
हालांकि बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच जारी जुबानी जंग के बीच दोनों सहयोगी पार्टियों में सामंजस्य बिठाना उनके लिए पहली बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। देखना है कि गठबंधन के रिश्ते को वे कितना और कैसे निभा पाते हैं।