पहले जमशेदपुर, फिर हजारीबाग और अब रांची को अशांत करने की कोशिश, दरअसल जिस राज्य में प्रशासन का भय समाप्त हो जाता है, वहां इस प्रकार की घटनाएं आम बात हो जाती है। मैं महसूस कर रहा हूं कि चाहे हिंदू हो या मुसलमान या ईसाई, इन दिनों बड़ी संख्या में खुराफातियों का जमावड़ा इन समुदायों में हो गया है, इनका काम अपने-अपने समुदायों में रह रहे लोगों का माइन्ड वाश करना है और एक दूसरे से लड़वाने के लिए नाना प्रकार के प्रशिक्षण देना है।
इन खुराफातियों का मनोबल इतना बढ़ गया है, कि वे अब किसी से डरते नहीं, पुलिस को ये पाकेट में लेकर चलते है, अब तो ये पुलिस पर ही हमले करते है और पुलिस जान बचाने के लिए इधर-उधर भटक रही होती है, क्योंकि इन खुराफातियों का समाज में रह रहे बड़े-बड़े, स्वयं को संभ्रात कहलानेवाले लोगों का वरदहस्त प्राप्त है, कमाल है कि यहीं दंगे भी भड़काते है, और यहीं दंगा को शांत कराने में, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए निकाले जानेवाले जुलूसों में बढ़-चढ़कर भाग भी लेते है, यानी दोनों तरफ से ये मलाई चाभ रहे है।
जमशेदपुर की घटना तो पूर्णतः राजनीतिक और एक समुदाय द्वारा प्रायोजित है, हजारीबाग में जिस प्रकार से एक बस पर हमला किया गया और कल देर रात जिस प्रकार रांची के बड़गाई में बारात पर हमला किया गया, वह साफ बताता है कि इन खुराफातियों ने अपना काम बहुत ही अच्छे ढंग से कर दिया है।
उसका उदाहरण है रांची के बडगाई बस्ती में एक बारात पर हुआ हमला। बताया जाता है कि फेसबुक वाल पर, आपत्तिजनक पोस्ट डाले जाने के कारण यह घटना घटी। मेरा सवाल है कि फेसबुक पर जिसने गलत किया, उसको दंडित करोगे, या जिसका फेसबुक से कोई लेना देना नहीं, उन बारातियों पर हमला करोगे, अगर किसी ने फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट डाली तो उसके लिए पुलिस में अपनी आपत्ति दर्ज कराओगे या स्वयं कानून हाथ में ले लोगे।
दरअसल सच्चाई यह है कि फेसबुक तो बहाना है, खुराफातियों का दल, शांतिप्रिय लोगों को बताना चाहता है कि तुम्हारी अब खैर नहीं, तुम जिस तरफ से चलोगे, हम तुम्हे अपनी ताकत का ऐहसास करायेंगे। बस बात इतनी सी है।
खुराफातियों ने अपना काम कर दिया है और वे डायरेक्ट राज्य सरकार को चुनौती दे रहे है।
मैं कहूंगा, राज्य सरकार से, रघुवर सरकार से, थोड़ा अपनी शक्ति दिखाइये, किसी की मत सुनिये, बस चाहे वे खुराफाती किसी भी तरफ के क्यों न हो, उन्हें पकड़कर उनकी औकात बताइये। दंगाइयों की फौज कितनी भी विशाल क्यों न हो, उन्हें कानून का मजा चखाइये, फिर देखिये, न तो जमशेदपुर कांड होगा, न हजारीबाग जैसे घटना घटेगी और न रांची के बड़गाई में किसी की हिम्मत होगी
कि वह बारात पर हमला करें।
रघुवर जी, बात को समझिये…
गुंडा, गुंडा होता है…
इन खुराफातियों को औकात बताइये…
इन्हें समाज में रहने का कोई हक ही नहीं…
इन्हें इनका उचित स्थान दिलाइये…
फिर देखिये, झारखण्ड कैसे शांत होता है…
इन खुराफातियों ने पूरे झारखण्ड को अशांत करने, बदनाम करने, विकास कार्य को प्रभावित करने का कार्य किया है, हो सकता है कि आपको इस कार्य को सफल बनाने में, राजनीतिक शक्तियां या अपने लोग आपके दुश्मन बन जाये, पर इससे अलग एक कीर्तिमान बनाने का यह समय है, इससे चूकिये मत…
क्योंकि शांतिप्रिय जनता में भय का वातावरण पनप रहा है, वे स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे है, उन्हें सुरक्षित रहने का ऐहसास दिलाना आपका कार्य है, इसमें अपनी भूमिका निभाइये।
नहीं तो, जिस दिन शांतिप्रिय जनता को ये महसूस हो जायेगा कि हम इस सरकार में असुरक्षित है, तो स्थिति भयावह हो जायेगी।
आपकी पुलिस भी जरा सुस्त है, जिसके कारण गुंडे, खुराफाती और असामाजिक तत्व उनसे भी उलझ रहे है, थोड़ा अपनी पुलिस को कहिये कि वे जरा स्वयं को समझे और इन दुष्टों को उनकी औकात बताये।
कानून से बड़ा कोई नहीं होता, कोई भी कानून हाथ में लेगा, उसे दंडित होना पड़ेगा, चाहे कोई भी हो, आशा है, आप जल्द इस पर ठोस निर्णय लेंगे और जल्द ही खुराफातियों का समूह सलाखों के भीतर होगा। ये आपकी अग्नि परीक्षा है, क्या आप इस परीक्षा में उतीर्ण होना चाहेंगे? सवाल जनता की ओर से आया है, आपको इस बार जवाब देना ही होगा..