जब भी साहित्य के शिलालेख पर कविताओं के दस्तावेज की इमारत उकेर कर दर्ज की जाएगी तब कविता को समर्पित कवि मुकेश कुमार सिन्हा का नाम स्पष्ट सुंदर लिपि में अंकित मिलेगा ।अपनी कविता से समाज के हताश निराश तबके के जीवन में आशा का संचार करने की परिकल्पना मुकेश कुमार सिन्हा का अपना अलहदा अंदाज है।उनकी आने वाली पहली काव्य संग्रह “तेरा मजहब क्या है चांद” समकालीन समाज का आईना है।
मूलतः बिहार के गया निवासी युवा कवि मुकेश कुमार सिन्हा का पहला काव्य संग्रह ‘तेरा मज़हब क्या है चाँद’ पाठकों के हाथों में आने को व्याकुल है! यह संग्रह मंत्रिमंडल सचिवालय, राजभाषा विभाग, बिहार पटना की हिंदी पांडुलिपि प्रकाशन योजना के तहत चयनित है।
काव्य मंचों पर अपनी कविताओं से पाठकों को उद्वेलित और मंत्रमुग्ध करने वाले मुकेश कहते हैं कि ‘तेरा मज़हब क्या है चाँद’ में स्त्री का संघर्ष है, तो ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी की पत्नी फगुनिया की याद है। दशरथ का जज्बा है, तो साथ में प्राकृतिक वर्णन भी।
साथ ही युवा कवि का चाँद से भी सवाल हैः
‘शोर मचाकर नहीं
चुपके से आना
ऐ चाँद
मेरे मुंडेरें पर
पूछूँगा
तेरा धर्म!’
‘तेरा मज़हब क्या है चाँद’ में गया के वरिष्ठ साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद ‘सदय’ का आशीर्वचन है। सदय जी ने लिखा है-‘प्रस्तुत पुस्तक कवि की पहली काव्य कृति है। फिर भी, इनमें अथाह संभावनाओं के दर्शन होंगे।’
जिला प्रशासन, गया से सम्मानित हो चुके युवा कवि मुकेश को प्रेमनाथ खन्ना सम्मान, पंचवटी राष्ट्रभाषा सम्मान, अनुराधा प्रकाशन द्वारा विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान, फ्रेंड्स यूथ क्लब द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान, अभिषेक प्रकाशन द्वारा 21वीं शताब्दी साहित्य गौरव सम्मान आदि सम्मान मिल चुका है।
पहला काव्य संग्रह को शीघ्र ही पाठकों के हाथों में पहुँचाने के लिए मुकेश भी उत्साहित हैं। वैसे पूर्व में कई साझा संग्रह में मुकेश की रचनाएं छप चुकी है। कवि मुकेश के बारे में कहा जाता है कि वें आम जनमानस के कवि हैं। मानवीय संवेदना उनकी कविता का केंद्र बिंदु भी है।