एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड सरकार के वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट विधानसभा में बिना कोई बहस के मात्र 25 मिनट में 80,200 करोड़ रुपये का बजट पास हो गया। विपक्ष खासकर झामुमो विधायकों के हंगामे, वेल में आने तथा नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री ने बजट पर सरकार का जवाब रखा। झारखंड गठन के बाद यह पहला मौका था, जब मूल बजट व अन्य विभागों के बजट बगैर किसी चर्चा के गिलोटिन से पास कराए गए।
मुख्यमंत्री के जवाब के बीच में ही पूरे विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया। अंत में विपक्ष की अनुपस्थिति में ही बजट पास करा लिया गया।
सोमवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार बजट पास होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इससे सात दिन पहले ही विधानसभा का बजट सत्र खत्म हो गया।
इससे पहले मंगलवार को प्रथम पाली में विपक्ष के गतिरोध के कारण बार-बार सदन स्थगित करने तथा दूसरी पाली में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी विधायकों ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय और एडीजीपी अनुराग गुप्ता को हटाने को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।
स्पीकर डा. दिनेश उरांव ने विधायकों को मनाने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा कराने का असफल प्रयास किया। लेकिन विपक्ष द्वारा अधिकारियों को हटाए जाने को लेकर अड़े रहने तथा इसे लेकर हंगामे के बीच ही मुख्यमंत्री को सरकार का जवाब रखना पड़ा।
विपक्ष के हंगामे की वजह से एक सप्ताह पूर्व बजट सत्र तो समाप्त हो गया लेकिन मंत्री सरयू राय ने मंगलवार को कार्यवाही से दूरी बनाकर चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया।
सरयू राय संसदीय कार्यमंत्री के पद पर बने रहना नहीं चाहते। अपनी इच्छा से उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को अवगत कराया है। हालांकि इस पर मुख्यमंत्री ने कोई निर्णय नहीं किया है।
सरयू राय विधानसभा में थोड़ी देर के लिए अवश्य आए लेकिन सीएम द्वारा सीट ग्रहण करने के बाद वे उठकर चलते बने।
उन्होंने अपने कक्ष में पूरा दिन बिताया। परंपरा के मुताबिक संसदीय कार्यमंत्री सदन के नेता के दाएं बैठते हैं। कार्यवाही के दौरान यह सीट खाली रही। मुख्यमंत्री ने इशारों ही इशारों में कैबिनेट सहयोगियों से इस बाबत जानकारी लेनी चाही लेकिन बाद में सब कुछ सामान्य हो गया।
मीडिया से सरयू राय ने कहा कि दो साल से सत्र ठीक तरीके से नहीं चल पा रहा है। इसके लिए वे खुद को भी जिम्मेदार मानते हैं।’
राय द्वारा संसदीय कार्यमंत्री के पद से हटने की इच्छा जताए जाने पर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। अगर वे अड़े रहें तो किसी मंत्री को यह विभाग सौंपा जा सकता है। संभावना है कि मंत्री सीपी सिंह के अनुभव को देखते हुए यह पद उन्हें दिया जाए। सीपी सिंह के पास नगर विकास और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं।