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    Sunday, November 24, 2024
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      नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विम्स पावापुरी के छात्रों ने किया विरोध

      गिरियक (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल संसद में लाने को लेकर नालंदा जिले के पावापुरी विम्स के छात्रों ने कॉलेज परिसर में विरोध धरना दिया।

      इस अवसर पर बिहार आईएमए स्टूडेंट विंग के सचिव सौरव कुमार ने बताया कि सरकार की यह नीति मेडिकल के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

      उनका कहना है कि अगर ये बिल आता है तो इससे इलाज बहुत महंगा हो जाएगा। ये दिन मेडिकल इतिहास में काला दिन बन जाएगा। इस बिल के आने से निजी मेडिकल कॉलेजों पर सरकार का शिकंजा मजबूत होगा।

      क्या है इस बिल में ?

      पहले प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों की फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट 60 फीसदी सीटों की फीसद तय किया जाएगा ।

      इस बिल में ऐसे प्रावधान हैं जिससे आयुष डॉक्टर्स को भी मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस करने की अनुमति मिल जाएगी जबकि इसके लिए कम-से-कम एमबीबीएस क्वालिफिकेशन होनी चाहिए। इससे नीम-हकीमी करने वाले भी डॉक्टर बन जाएंगे।

      डॉक्टर और मरीजों के आंकड़ों में असमानता

      wims pawapuri 1इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अगस्त के आंकड़ों के मुताबिक 1.3 अरब लोगों की आबादी का इलाज करने के लिए भारत में लगभग 10 लाख एलोपैथिक डॉक्टर हैं। इनमें से केवल 1.1 लाख डॉक्टर सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करते हैं। डॉक्टर और मरीजों के इन आंकड़ों में असमानता है।

      यही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा के और भी खस्ता हाल हैं। सौरभ कुमार ने  कहा कि कहीं डॉक्टर शिक्षित नहीं हैं तो कहीं इलाज आम लोगों की पहुंच से बहुत बाहर है।

      कहीं अस्पतालों के बदहाल तो कहीं इलाज में लापरवाही। दिन पर दिन दवाएं महंगी हो रही हैं।  जिससे खर्च ही नहीं बढ़ेगा आम लोगों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा । आज सरकार को अपने ही देश पर भरोसा नहीं रह गया है।

      विदेश में मेडिकल की शिक्षा पढ़ने वाले छात्र कोई भी बिना पंजीयन के बिना भी प्रैक्टिस कर सकता है । देश में शिक्षा पा रहे छात्र एमबीबीएसस पास करने के बावजूद भी उसे मॉडर्न मेडिसिन एलोपैथी प्रेक्टिस की इजाजत सरकार नहीं देती है।

      सरकार इसके लिए जो नीति लागू की है। उसके लिए छात्रों को अलग से फिर से एक लाइसेंस एग्जाम के नाम पर मेडिसिन प्रेक्टिस करने के लिए नेशनल लाइसेंस एग्जाम पास करना होगा तभी मेडिसिन प्रेक्टिस कर पाएंगे । इस गलत नीति से न केवल छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा है बल्कि मरीजों का इलाज भी मंहगा होगा। 

      इस मौके पर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पीके चौधरी ने कहा कि सरकार को यह नीति वापस लेनी चाहिए।

      छात्र 18 विषय का परीक्षा देकर पास करता है और फिर एक अलग परीक्षा पास करने के बाद ही वे प्रैक्टिस कर पाएंगे यह अनुचित है। इस तरह कि नीति लागू करने से छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा। इस तरह से इलाज प्रक्रिया में भी परेशानी होगी।

      इस मौके पर डॉ. मनोज, डॉ. हीना, डॉ  संध्या, डॉ. सुनीति, डॉ रंजना के अलावा कमल , रिषाभा,  नील, तुषार,  अंजनी,  मृत्युंजय , नमन, सुमित आदि लोग मौजूद थे ।

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