एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राम विलास )। राजगीर के सुप्रसिद्ध मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से राजगीर के पौराणिक एवं ऐतिहासिक मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा देने की मांग की है।
मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र में उन्होंने कहा है कि प्राचीन मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी राजगृह अनादिकाल से अध्यात्म, साधना और प्रेरणा की पवित्र भूमि रही है। इसे महात्मा बुद्ध और तीर्थंकर महावीर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। भगवान श्री कृष्ण, पुरूषोतम श्री राम, उनके अनुज लक्ष्मण, विष्वामित्र, गुरूनानक देव और बाबा मखदुम साहब का चरण स्पर्ष से यह धरती गौरवान्वित हुई है।
भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने इस नगर को बसाया था। उस समय राजगृह का नाम बसुमतिपुर था।
उन्होंने कहा है कि आप (मुख्यमंत्री) राजगीर के विकास और पौराणिक गौरव को वापस लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उसी कड़ी में मलमास मेला भी एक है। हाल ही में प्रागैतिहासिक कालीन सूर्यपीठ बड़गांव और औंगारी को राजकीय मेला का दर्जा देकर उसके महत्व और गरिमा को बढ़ाया है। इसके लिए नालंदा वासियों के अलावे सूर्य उपासक और छठव्रती आपके शुक्रगुजार हैं।
उन्होंने कहा है कि संस्कृति और अध्यातम की इस धरती पर मलमास मेला (पुरूषोतम मास) का आयोजन कब से हो रहा है, यह किसी को सही-सही जानकारी नहीं है। लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों के अलावे जैन और बौद्ध साहित्य में इसका वर्णन मिलता हैं। इससे स्पष्ट होता है कि राजगीर का सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक मलमास मेला आदि-अनादि काल से लगते आ रहा है।
उन्होंने कहा कि आस्था और अध्यात्म के इस विराट मेले में भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु नर-नारी, बाल-वृद्ध लाखों की संख्या में पधारते हैं। इसके अलावे हिंदू राष्ट्र नेपाल समेत कई देषों के तीर्थयात्री और धार्मिक पर्यटक इस मेले में पहुंचकर गर्मजल के झरनों व कुंडों में डुबकी लगाते हैं और तन-मन का मैल दूर करते हैं।
नीरज कुमार ने ज्ञापन में लिख है कि भारत वर्ष में केवल राजगृह में ही प्रत्येक तीन साल पर मलमास मेला का विराट आयोजन किया जाता है। आस्था और अध्यातम के इस मेले में 33 करोड़ देवी-देवता राजगीर पधारते हैं और एक महीना तक प्रवास करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि मलमास मेला के दौरान राजगीर वैकुंठधाम बन जाता है। चारो तरफ यज्ञ, हवन और धार्मिक प्रवचन होते रहते हैं।
न्यास अध्यक्ष ने कहा है कि इतने पौराणिक और अध्यात्मिक एकलौते मलमास मेले को अबतक राजकीय मेला का दर्जा नहीं दिया गया है। यह कदापि उचित प्रतीत नहीं होता है। इस पौराणिक मेले के महत्व, इतिहास, आस्था और अध्यात्म को देखते हुए राजगीर के मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा अपेक्षित है।
उन्होंने कहा है कि शायद राजगीर मलमास मेला जैसा ऐतिहासिक मेला देष में कोई ऐसा मेला नहीं है जिसे राजकीय मेला का दर्जा नहीं मिला हो। देवघर के श्रावणी मेला, बड़गांव, औंगारी और देव के छठ मेले की तरह राजगीर के मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा देने की उन्होंने मुख्यमंत्री एवं से गुहार लगाया है।
उन्होंने कहा कि राजगृह के ऐतिहासिक एवं पौराणिक मलमास मेला को राजकीय मेला का दर्जा देने पर सहानभूति पूर्वक विचार करने की महती कृपा की जाय। इसका सारा श्रेय और पुण्य आपको मिलेगा।