“एक तरफ जहां राजगीर मलमास मेला की रौनक खिलनी शुरु हो गई है, वहीं दूसरी तरफ इस धार्मिक-अध्यात्मिक भूमि के चिन्हित अतिक्रमणकारियों के भी पौ बारह हैं। इसका एक मात्र वजह है सत्तारुढ़ दल के आला नेताओं का खुला सरंक्षण मिलना।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। आज शुक्रवार की शाम नालंदा के जदयू सांसद कौशलेन्द्र कुमार मलमास मेला सैरात भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध ढंग से निर्मित राजगीर गेस्ट हाउस में खूब मजमा जमाये हैं। उनका सरकारी अंगरक्षक उक्त होटल की गार्ड की भूमिका में बैठा दिख रहा है।
सांसद की सरकारी गाड़ी के साथ एक और फोर व्हीलर खड़ी है, जिसके एक साइड पर लाल रंग से बिहार सरकार लिखा साफ नजर आ रहा है। जाहिर है कि वहां सरकारी अफसर भी अपनी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
वेशक बिहार के सीएम नीतिश कुमार की जीरो टॉलरेंस की कसौटी पर ये तस्वीरें काफी बिचलित करने वाली है।
राजगीर गेस्ट हाउस राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि पर अवैध कब्जा कर बना हुआ है, यह प्रसासनिक तौर पर साबित हो चुका है।
उसकी लागत को देख कर आसानी से उसकी बड़ी पूंजीगत आधुनिक ढांचा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो एक अलग उच्चस्तरीय जांच का विषय है।
इस होटल के मालिक पर एक लोक शिकायत निवारण अन्यन्न वाद पर प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर के सुनावाई आदेश के बाद वर्तमान भूमि उप समाहर्ता द्वारा राजगीर थाना में तीन अफसर-कर्मी समेत कांड संख्या-85/2018 दर्ज की जा चुकी है।
यह मामला सरकारी सैरात भूमि का फर्जी तरीके से जमाबंदी करने-कराने व लगान निर्धारित करने कराने से जुड़ा है।
इसमें भू-माफिया व अतिक्रमणकारी होटल मालिक के साथ तात्कालीन राजगीर अंचलाधिकारी, भूमि उप समाहर्ता और राजस्व कर्मचारी को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
ऐसे में सबाल उठता है कि पिछले एक साल से राजगीर गेस्ट हाउस होटल के विस्तार पर न तो रोक लगाई गई और न ही फर्जीबाड़ा करने वाले उसके मालिक व विभागीय अफसरों की मिलीभगत के खिलाफ शासकीय एफआईआर दर्ज होने के पहले या बाद में कोई कार्रवाई।
बहरहाल, नीतिश सरकार के एक क्षेत्रीय कद्दावर मंत्री के बाद स्थानीय सांसद का उक्त गेस्ट हाउस में बैठका जमाना एक बड़ा सबाल खड़ा करता है, जिसमें प्रशासन के निकम्मेपन का जबाब खुद निहित है।