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      नालंदा में रालोसपा का शिक्षा बचाओ आंदोलन में दिखा आक्रोश

      कतरीसराय, नालंदा (संवाददाता)। रविवार को नालंदा के सभी प्रखंडो में आक्रोश दिखाओ शिक्षा बचाओ आंदोलन का उद्घघोष के साथ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का नुक्कड़ सभा का आयोजन कई जगहों पर किया गया । कतरीसराय बाजार के दुर्गा स्थान में भी नुक्कड़ नाटक किया गया । जिसकी अध्यक्षता रालोसपा प्रखंड अध्यक्ष अजय कुमार गुड्डु ने किया।

      नुक्कड़ नाटक को सम्बोधित करते हुए कहा कि बिहार में गिरती शिक्षा व्यवस्था की  व्यापक सुधार और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए रालोसपा आंदोलन चला रहा है । आंदोलन के पहले चरण में प्रखंड स्तर पर नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया।

      दूसरे चरण में 28 जून को जिला मुख्यालय में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा। उस दिन जिला पदाधिकारी को मांग पत्र सौंपा जाएगा। पटना में एक शिष्टमंडल राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन और ब्लू प्रिंट सौपेगा। आन्दोलन के पहले चरण का समापन 15 अक्तूबर को पटना के गांधी मैदान में होगा। उस दिन आक्रोश दिखाओ शिक्षा बचाओ महा सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। उसी दिन द्वितीय चरण के आन्दोलन की घोषणा होगी।

      उन्होंने कहा शिक्षा में सुधार के लिए वे केवल आंदोलन ही नहीं चलाएंगे।बल्कि सरकार को शिक्षा में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सुझाव भी देंगे।रालोसपा के प्रदेश युवा महासचिव देवेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में बिगड़ी हुई शिक्षा व्यवस्था का शिक्षा में आई गिरावट के कारण स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई नहीं हो रही है। स्कूल- कालेजो मे विषय के शिक्षक नहीं है। कही प्रयोगशाला नहीं है। यहां शिक्षण संस्थानों में तो शिक्षा ही नहीं हो रही है तो गुणबता पूर्ण शिक्षा की चर्चा ही बेमानी लगती है ।

      रालोसपा नेता अनिरूद्ध कुमार अन्नु ने  कहा कि स्कूलों में यदि मिड डे मिल बंद कर दिया जाए तो बिहार के शिक्षण संस्थाएं छात्र विहीन हो जाएंगे । स्कूल कॉलेजों में केवल प्रयोगशाला ही नहीं बल्कि उपस्कर तक नहीं है।

      वहीं अस्थावां प्रखंड अध्यक्ष जितेन्द्र कुशवाहा मनोज महतो बिक्रम कुशवाहा धनराज कुमार जैसे नेताओं ने बिहार के शिक्षकों की हालात की चर्चा करते हुए कहा कि यहां ऐसे भी शिक्षक बहाल हैं जो अपना नाम और पता लिखना तक नहीं जानते । उनसे शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की क्या उम्मीद की जा सकती है।

      उन्होंने कहा शिक्षा में सुधार के लिए आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है । इसके लिए सबसे पहले शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव लाना होगा । डिग्री लाओ नौकरी पाओ सिस्टम को समाप्त करना होगा।

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