नालंदा ( राम विलास)। आयुध निर्माणी नालंदा बीएमसीएस उत्पादन के क्षेत्र में रिकार्ड बनाने के लिए अग्रसर है। इसका स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत हो चुकी है। निर्धारित अवधि से पूर्व एक लाख बीएमसीएस मॉडयूल का निर्माण कार्य पूर्ण कर यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है ।
इस खुशी मे आयुद्ध निर्माणी नालंदा में कल बुधवार को एक समारोह आयोजित किया गया है । इसके समारोह में केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री डॉक्टर सुभाष राम राव भामरे के हाथों नालंदा मेड बीएमसीएस मॉडयूल राष्ट्र को समर्पित किय जायेगा।
आयुध निर्माणी नालंदा के महाप्रबंधक शरद घोड़के ने यह जानकारी पीसी कर दी। उन्होंने बताया कि रक्षा राज्यमंत्री सुबह नौ बजे आयुध निर्माणी परिसर में वृक्षारोपण करेंगे। उसके बाद आयुध निर्माणी नालंदा का निरीक्षण और नालंदा मेड बीएमसीएस मॉडयूल राष्ट्र को समर्पित करेंगे ।
इसके अवसर पर नालंदा के उत्पादित प्रोडक्ट को भी प्रदर्शित किया जाएगा। महाप्रबंधक ने कहा कि देश के लिए यह गौरव की बात है कि अपने आंतरिक अनुसंधान एवं विकास के बल पर आयुध निर्माणी नालंदा ने स्वदेशी बीएमसीएस का सफलतापूर्वक निर्माण कर रहा है। पहले विदेशों से बीएमसीएस की खरीदारी की जाती थी।
इस पर देश को 19 हजार रुपए प्रति बीएमसीएस मॉडयूल खर्च करना पड़ता था, परंतु नालंदा मॉडयुल अपने देश में फैक्ट्री के माध्यम से तैयार करने पर 14 हजार रूपये प्रति मॉडल की लागत आती है। जिससे 5 हजार रूपये प्रति बीएमसीएस मॉडल कि बचत हो रही है। अगर दो लाख बीएमसीएस मॉडल प्रति वर्ष तैयार करते हैं तो सौ करोड़ रुपए की बचत राष्ट्र को होती है। जिससे राष्ट्र को राजस्व में काफी बचत हुई है।
महाप्रबंधक ने कहा कि आज आयुध निर्माणी नालंदा की उपलब्धि माननीय प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया का चमकता उधाहरण है। उन्होंने कहा कि इस फैक्ट्री में न केवल अपने यहां बीएमसीएस असेंबली विकसित किया है, बल्कि अनय लघु एवं मध्यम उद्योगो को बीएमसीएस में उपयोग होने वाले छोटे-छोटे हिससो के उत्पादन करने मे भी मदद की है।
आयुध निर्माणी नालंदा परियोजना की शुरुआत 1999 में हुई थी । आयुध फैक्ट्री में निर्मित बीएमसीएस 155 एम एम की आटलरी तोपों में प्रयुक्त होता है। इसकी मारक क्षमता 5 से 35 किलोमीटर तक है। कारगिल युद्ध में आटलरी तोपों की निर्णायक भूमिका ने बीएमसीएस के महत्व को और भी बड़ा दिया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 -.18 में दो लाख बीएमसीएस मॉडल उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है, उम्मीद है कि तीन लाख मॉडल का उत्पादन कर दे सकते है। वर्ष 16- 2017 मे एक लाख बीएमसीएस का उत्पादन कर लिया गया है।
सर्वप्रथम 31 मार्च 2016 को 18 सौ चार प्रोडक्ट भेजा गया था । जबकि वर्ष 16 -17 में 50 हजार दिया गया था अब सत्र 17- 18 में दो लाख बीएमसीएस मॉडयूल का लक्ष्य रखा गया है।
महाप्रबंधक ने कहा कि बीएमसीएस बनाने वाली यह फैक्ट्री पूरे देश में अकेली है। आयुध निर्माणी नालंदा ने जो राह दिखाई है उससे रक्षा उत्पादन में आत्मा निर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में औरों को भी प्रेरणा मिलेगी।