इन लोगों की मानसिकता इस प्रकार कुंठित हो चुकी है कि उसे बदलने की हर पहल स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी सरदर्द साबित हो रही है। जिनके घरों में शौचालय है, वे सड़क किनारे खुले में शौच करना बेहतर समझते हैं।
विशाल कुमार, विवेक कुमार, शम्मी कुमार, धनन्जय कुमार, नीतीश कुमार आदि दर्जनों युवाओं ने बताया कि ये लोग जब सुबह-शाम जॉगिंग करने के गांव के मार्गों या मुख्य सड़क पर निकलते हैं तो शौच-दुर्गंध के कारण उन्हें सांस लेना भी मुश्किल हो जाती है। कहीं-कहीं तो इस कारण उल्टियां भी होने लगती है।
युवाओं का यह भी कहना है कि नालंदा के डीएम की खुले में शौच से मुक्ति की दिशा हो रही सराहनीय पहल की दिशा में पंचायत प्रतिनिधियों की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है, वे लोग सिर्फ इस योजना में लूट मचाने में ही अधिक मस्त दिखते हैं।