“नालंदा जिले में डॉ. जितेन्द्र कुमार के पिता अयोध्या प्रसाद सहकारिता के पुरोधा माने जाते हैं। सहकारिता जगत में इनका पारिवारिक रिश्ता काफी पुराना रहा है। 2004 से विधायक डॉ . जितेन्द्र कुमार लगातार अध्यक्ष पद पर काबिज रहे हैं। साथ ही राजनीतिक रसूख की वजह से प्रदेश के अध्यक्ष भी बनते रहे हैं।”
बिहारशरीफ (प्रमुख संवाददाता)। पिछले कई दशक से नालंदा में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक चुनाव में जदयू विधायक डॉ. जितेन्द्र कुमार का चला आ रहा वर्चस्व खत्म हो गया है।
अस्थावां से जदयू विधायक और निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कुमार को हार का सामना करना पड़ा है। कांटे के मुकाबले में उन्हें नौ मतों से हार का सामना करना पड़ा है। इसके साथ ही नालंदा में उनके परिवार का वर्चस्व भी समाप्त हो गया है।
जदयू विधायक डॉ. जितेन्द्र कुमार को उनके ही परम्परागत प्रतिद्वंद्वी अमरेन्द्र कुमार उर्फ मुन्ना ने पटखनी दी है। इस हार से जदयू को काफी निराशा हाथ लगी है। जदयू को अंदाजा नहीं होगा कि उनके विधायक चुनाव हार जाएंगे।
हालाँकि यह चुनाव दलीय नहीं था लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी अध्यक्ष का पद जदयू के लिए प्रतिष्ठा का बना हुआ था। लेकिन इस बार विधायक डॉ. जितेन्द्र कुमार की चूलें हिल गई ।
नालंदा के सहकारिता इतिहास में उलटफेर से सभी अंचभित दिख रहे हैं । किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि डॉ. जितेन्द्र कुमार को मुँह की खानी पड़ी है ।
नालंदा में पैक्स के कुल 262 मतदाता है। जिनमें एक की मौत हो चुकी है। जातीय आधार पर देखा जाए तो 123 कुर्मी पैक्स अध्यक्ष हैं। जबकि डॉ जितेन्द्र कुमार को 118 मत मिलें।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोटों में सेंधमारी हुई। भूमिहार के 45 यादव के 35 राजपूत के 19 कोयरी के 16 तथा अन्य बाकी जातियों के पैक्स अध्यक्ष हैं।
लेकिन जातीय समीकरण को समझने में निवर्तमान विधायक फेल हो गए। यहां तक कि उन्हें पार्टी के जातीय समीकरण का भी सहारा नहीं मिला। उन्हें सिर्फ़ 118 मत मिलें तो अमरेन्द्र कुमार 127 मत पाकर विजय घोषित हुए।
इधर विजयी अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार उर्फ मुन्ना पिछले चुनाव में बुरी तरह हार गए थे। बावजूद मुन्ना लगातार पैक्स अध्यक्षों के साथ जुड़े रहे उनकी समस्याओं को लेकर आवाज उठाते रहे हैं।
यही वजह रहा कि इस बार फिर से वे हौसले के साथ विधायक के प्रतिद्वंद्वी बनें रहे। तमाम अटकलों के बीच नौ मतों से चुनाव जीतने में सफल रहे।