“बक्सर के नंदन गाँव में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा समाज के बड़े महादलित वर्ग को विकास से महरूम करना कहाँ का न्याय और विकास है?”
अपने फेसबुक वाल पर बिहार विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव …
मुख्यमंत्री का यह कैसा पक्षपातपूर्ण रवैया है, जिसमें गाँव के महादलित टोले में विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगाई जाती और दूसरी तरफ़ उसी गाँव के दूसरे कोने में तामझाम के साथ बैठकर मुख्यमंत्री द्वारा विकास का बेसुरा राग अलपाया जाता है?
अगर मुख्यमंत्री एक मिनट उस गाँव के वार्ड न-7 के महादलितों से रुककर बात कर लेते, उन्हें तथाकथित सात निश्चय के कार्यन्वयन के बारे में बता देते तो उन्हें भी बिहार में एक लोकतांत्रिक सरकार होने का आभास होता।
माना कि आप जनादेश की डकैती कर चोर दरवाज़े से संघी सरकार चला रहे है लेकिन फिर भी जनता से मिलना आपका नैतिक दायित्व और फ़र्ज़ है।
मुख्यमंत्री एक तरफ़ स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के अवसर पर महादलित टोलों में झंडा फहराने का ढकोसला करते है दूसरी तरफ़ जब महादलित अपनी वाजिब विकास माँगों को लेकर बात करना चाहते है तो मुख्यमंत्री उन्हें पुलिस की लाठियों से लहूलुहान करवाते है। अपने पुलिसया तंत्र से रात में महादलितों के घर आगज़नी करवाते है। उनपर फ़र्ज़ी केस दायर करवाते है।
मुख्यमंत्री पूरे गाँव को अपने प्रशासनिक तंत्र से प्रताड़ित करवा रहे है। जो व्यक्ति विदेशों में मज़दूरी कर रहे है उनपर झूठा केस किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ख़ुद प्रशासन की लाठी से अराजकता को बढ़ावा दे रहे है।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश जी, जनता आपके छद्म विकास की पोल खोल रही है। अब आपको समीक्षा नहीं क्षमा यात्रा करनी चाहिए। आपको ज्ञात रहना चाहिए की विकास कार्यों की समीक्षा जनता करती है ना कि वातानूकुलित कक्षों में रहने वाले अधिकारी।
महागठबंधन की सरकार को ग़रीब जनता ने चुना था ना कि प्रशासनिक अधिकारियों ने। आपको बताना चाहिए जनता से मिलने में आपको किस बात का डर है?