” दिव्यांग होने की पीड़ा और दिव्यांगी की परेशानियों को करीब से देखने के बाद मुझे अहसास हुआ कि क्यों न में दिव्यांग बच्चो को पढ़ाया जाय। इसी सोच को अमली जामा पहनने के लिए वह अपने आस पास के इलाके के बच्चों को पढ़ाने लगे।”
पाकुड़ (जितेन्द्र दास)। दिव्यांग दंपति शिव कुमार मुर्मू व पत्नी सुनीता मुर्मू। ये दोनों भले ही दिव्यांग है। लेकिन उनका हौसला बुलन्द है। दिव्यांग होने के बाबजूद स्वाभावित तौर पर उनकी नजर इलाके सहित कई प्रखण्ड के गांव के दिव्यांग बच्चो पर पड़ी और वे अपने संकल्प को पूरा करने में जुट गए।
ये दोनों हिरणपुर प्रखण्ड मुख्यालय से महज 2 किलोंमिटर दूर हथकाठी गांव में दिव्यांग सह असहाय आवासीय विद्यालय चला रहे है। इसमें 200 से 300 के लगभग बच्चे पढ़ते हैं। आस पास के इलाके के गरीब परिवार के है। शिव और सुनीता पिछले 6 साल से इस काम में जुटे है।
शिव कुमार मुर्मू बताते है कि दिव्यांग होने की पीड़ा और दिव्यांगी की परेशानियों को करीब से देखने के बाद मुझे अहसास हुआ कि क्यों न में दिव्यांग बच्चो को पढ़ाया जाय। इसी सोच को अमली जामा पहनने के लिए वह अपने आस पास के इलाके के बच्चों को पढ़ाने लगे।
हालांकि शिव कुमार मुर्मू सरकारी सहायता पाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार के कल्याण मंत्रालय तक कई बार चकर लगा चुके हैं। लेकिन अब तक कोई सहायता नही मिली है। दिव्यांग शिव प्रखण्ड के पाडेरकोला गांव के रहने वाले है। इसने संथाल पहाड़िया सेवा मंडल देवघर में रह कर मेट्रिक तक की पढ़ाई की ।
उनकी पत्नी सुनीता स्नातक व बीएड भी किया हुआ है। यह आवासीय स्कुल को बच्चों के अभिभावको और समाजिक लोगो के सहयोग से चलता है। स्कुल में छात्र छात्रा मिलाकर लग भग 300 है। स्कुल की क्लासें सिंचाई विभाग के पुराने कार्यलय में चलती हैं। शिव को उमीद है कि एक न एक दिन सरकार की नजर इस स्कुल पर जरूर पड़ेगी तब तक स्कुल ऐसे ही चलती रहेगी।