एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। “आवाम अंधा और विक्षिप्त होता है। उसे न कुछ दिखाई देता है और न ही कुछ समझ में आता है। जमीनी हकीकत से अलग जो भी आकड़े परोस दो, चेहरा चमकाने की सनक में सब चाल जायज है।“… यदि हम बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा की बात करें तो यहां विकास के प्रशासनिक व राजनीतिक घोड़े की ठीक ऐसी ही चाल है।
21 जनवरी, 2018 का दिन हर दृष्टिकोण से ऐतिहासिक कहा जायगा। लेकिन वह सफलता के लिये नहीं, अपितु अव्यवस्थित असफलता के लिये। इसके कई कारण हैं। उन कारणों का विश्लेषण कर सबक लेना सरकार का काम है। आम-आवाम सिर्फ आयना दिखाने का काम करती है। उसे जो जिस रुप में देखता है, उसे उसी अनुरुप नजर आती है।
नालंदा में बाल-विवाह और दहेज मुक्त विवाह मानव श्रृखंला की जो सरकारी तस्वीरें पेश की गई है, वह कोरा झूठ का पुलिंदा है, जोकि शासन-प्रशासन और सरकार की हवाई सोच की पोल खोलती है।
नालंदा जिला प्रशासन ने इस मानव श्रृखंला के अवसर पर भाग लेने वाले लोगों की प्रखंडवार संख्यात्मक विवरणी जारी की है। इसमें उल्लेख आकड़ों के मुताबिक नालंदा जिले में 64 किमी लंबी मुख्य मार्ग और 371 किमी लंबी उप मार्ग यानि कुल 435 किमी लंबी मार्ग पर 15 लाख 57 हजार अठहतर लोगों की मानव श्रृखंला बनी।
प्रखंडवार विवरण है कि बिहारशरीफ में 84272, अस्थावां में 96634, विन्द में 34411, सरमेरा में 36644, रहुई में 69810, नूरसराय में 72740, हरनौत में 82856, हिलसा में 71600, चंडी में 73709, नगरनौसा में 37631, थरथरी में 37455, एकंरसराय में 86345, इस्लामपुर में 70857, करायपरसुराय में 28360, परबलपुर में 63815, राजगीर में 80752, सिलाव में 70346, गिरीयक में 87108, कतरीसराय में 50554, वेन में 47811 और बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में 273768 लोग मानव श्रृंखला में शामिल हुये।
इस आकड़ों के संदर्भ में यदि हम पूर्व के नशाबंदी मानव श्रृंखला के आलोक में बात करें तो इस दफा 4 लाख से उपर लोगों ने भाग लिया।
अब सवाल उठता है कि नालंदा प्रशासन द्वारा जारी आकड़ों का स्रोत क्या है। जानकार बताते हैं कि इस बार बाल-विवाह और दहेज मुक्त विवाह मानव श्रृखंला में विभिन्न मार्गों की कुल लंबाई पर अपने हिसाब से आम लोगों की संख्या बैठा दी गई है।
नालंदा जिले के विभिन्न प्रंखड क्षेत्रों से विभिन्न स्रोतों से जिस तरह की जानकारी मिली है, वे काफी चौंकाने वाले है। इस बार का मानव श्रृंखला कहीं भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता देखा गया। जबकि प्रशासन और सत्तारुढ़ जदयू ने पूरी ताकत झोंक दी थी।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार नालंदा जिले में 1084 गांव है। प्रखंडवार अस्थावां में 59, बेन में 32, बिहारशरीफ में 76, बाइंड में 35, चंडी में 71, एकंगरसराय में 90, गिरियक में 44, हरनौत में 81, हिलसा में 58, इस्लामपुर में 92, करायपरसुराय में 45, कतरीसराय में 14, नगरनौसा में 47, नूरसराय में 62, परबलपुर में 23, रहुई में 66, राजगीर में 51, सरमेरा में 35, सिलाव में 50 गांव, थरथरी में 30 गांव है।
यदि इस आधार पर भी आंकलन करें तो जिला प्रशासन के दावे के अनुसार अस्थावां में 1637.86, बेन में 1494.09, बिहारशरीफ में 1108.84, बिंद में 984.02, चंडी में 1038.15, एकंगरसराय में 959.38, गिरियक में 1979.72, हरनौत में 1017.97, हिलसा में 1234.48, इस्लामपुर में 770.18, करायपरसुराय में 630.22, कतरीसराय में 3611, नगरनौसा में 800.65, नूरसराय में 1173.22, परबलपुर में 2774.56, रहुई में 1057.72, राजगीर में 1583.37, सरमेरा में 1047.54, सिलाव में 1406.92 गांव, थरथरी में 1248.5 निवासी औसतन प्रति गांव शरीक हुये।
हालांकि यह दीगर बात है कि नालंदा जिले में कहीं भी मानव श्रृखंला के दौरान यह नजारा नहीं देखी गई कि आधी से अधिक आबादी निर्धारित मार्गों पर उमड़ पड़ी हो। जाहिर है कि जिला प्रशासन ने इस दौरान सरकारी खजाने से लाखों-करोड़़ों का वारा-न्यारा करते हुये सिर्फ झूठ की खेती की है। यह खेती सीएम नीतिश कुमार की छवि के लिये ठीक नहीं है, क्योंकि ये पब्लिक है, जो सब जानती है।