“मो. अख्तर से जब यह पुछा गया कि वर्णित धाराओं व अधिनियमों के आलोक में नगर पंचायत कार्यालय खुद कार्रवाई करने को सक्षम है तो फिर कोर्ट की सहारा की बात क्यों ? इस सबाल पर उन्होंने मोबाईल डिस्कनेक्ट कर दिया।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज / मुकेश भारतीय। बिहार के सीएम नीतिश कुमार सुशासन के कितने भी ढिंढोरे पीट लें। भाजपा संग गलबहियां डालने बाद भी कितने भी तेवर दिखा लें, लेकिन यह कड़वा सच है कि उनके गृह क्षेत्र नालंदा में तैनात उनके या उनके करींदें विधायक, सांसद, मंत्री के पसंदीदा अफसर सब कुछ की पोल यूं ही खोले जा रहे है।
राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि से अतक्रमण हटाना था। उस पर बने भू-माफियों के आलीशान भवनों-होटलों से अवैध बिजली-पानी का अवैध कनेक्शन काटना था। लेकिन प्रमंडीय आयुक्त आनंद किशोर के आदेश से अधिक्रमण तो हटा, मगर सिर्फ गरीबों के घरों को बुल्डोजर से रौंद डाला गया। रसुखदारों को कानूनी दांव-पेंच की आड़ में नीचे से लेकर शीर्ष प्रशासन तक एक सोची समझी षंडयंत्र के तहत छोड़ दिया गया।
ऐसे में सबाल उठना लाजमि है कि क्या सुशासन में गरीब और रसुखदार के लिये कार्रवाई की प्रक्रियाएं अलग-अलग होती है। इस दोगली खेल में जो लोग भी शामिल हैं, उनकी कलई खोली जानी जरुरी है।
फिलहाल, बात करते हैं राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी मो. मुजफ्फर बुलंद अख्तर की। इनका नाम भले ही बुलंद से शुरु होता हो, लेकिन इन्हें एक मामले में खुद के आदेश का पालन करने में ही इनकी पैंट गीली हो रही है।
राजगीर नगर पंचायत कार्यालय ने कार्यपालक पदाधिकारी के हस्ताक्षर से दिनांकः 02.06.2017 को ज्ञापांक 1699 के जरिये श्री शिवनंदन प्रसाद, पिता-स्व. रामचन्द्र प्रसाद, पता-राजगीर गेस्ट हाउस, कुंड एरिया वार्ड नंबर-19 को आदेश निर्गत किया था कि
“ आपको नगर पंचायत, राजगीर कार्यालय द्वारा ज्ञापांक-1603 दिनांक 08.05.2017 से निर्माण कार्य बंद करते हुये कार्यालय को लिखित रुप से आदेश दिया गया था, लेकिन न तो कार्य बंद किया गया और नहीं सूचना दी गई।लेकिन निर्माण कार्य जारी है, जो गलत है। पत्र प्रप्ति के तुरंद बाद अपना कार्य बंद करते हुये अपनी जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज के साथ दिनांक 06.06.2017 को कार्यालय अवधि में अधोहस्ताक्षरी के समय उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें। अन्यथा की स्थिति में बिल्डिंग बाय लॉज की धारा 313, 315 एवं नगरपालिका अधिनियम 2017 की उप धारा 324 के आलोक में सरकारी आदेश की अवहेलना करने एवं नगर प्रशासन द्वारा निर्गत आदेश की अवमानना करने के विरुद्ध हुये अवैध निर्माण को ध्वस्त करने तथा 10 लाख रुपये की जुर्माना वसुलने की कार्रवाई की वाध्यता होगी। ”
इस आदेश की प्रतिलिपि राजगीर अंचलाधिकारी, राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी, नालंदा जिला पदा अधिकारी के साथ प्रमंडलीय आयुक्त के सचिव को भी भेजी गई थी।
इसके पूर्व राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी के हस्ताक्षर से ही ज्ञापांक 1603 दिनांक 08.05.2017 के जरिये शिवनंदन प्रसाद, राजगीर गेस्ट हाउस, मखदुम कुण्ड रोड,राजगीर को स्पष्ट आदेश दिया था कि
“आपके द्वारा नगर पंचायत राजगीर से बिना नक्शा पास कराये अवैध भवन का निर्माण किया जा रहा है, जो नगरपालिका अधिनियम 2017 की धारा 324 का घोर उलंघन है। अतः आदेश दिया जाता है कि उरोक्त प्रसंग में 24 घंटो के भीतर अपना पक्ष रखें। अन्यथा नगरपालिका अधिनियम 2017 की धारा के तहत दण्डात्मक कार्रवाई की जायेगी ”
उपरोक्त आदेश की बाबत जब राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी मो. मुजफ्फर बुलंद अख्तर से संपर्क किया गया तो पहले तो इस मामले पर अनभिज्ञता जाहिर की। लेकिन जब उन्हें मोबाईल पर ही आदेश की प्रति पढ़कर सुनाई गई, तब उन्होंने कहा कि इस संबंध में कार्रवाई होगी। कोर्ट का सहारा लिया जायेगा।
मो. अख्तर से जब यह पुछा गया कि वर्णित धाराओं व अधिनियमों के आलोक में नगर पंचायत कार्यालय खुद कार्रवाई करने को सक्षम है तो फिर कोर्ट की सहारा की बात क्यों ? इस सबाल पर उन्होंने मोबाईल डिस्कनेक्ट कर दिया। बाद में उन्होंने रिसिव नहीं किया।
जाहिर है कि राजगीर गेस्ट हाउस के मामले में राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी खुद के आदेश का अनुपालन करने में असक्षम हैं और स्पष्ट भू-माफिया के खिलाफ अग्रेतर कार्रवाई करने में उनकी पैंट गीली हो रही है।
सबसे बड़ी बात कि नोटिश के दौरान राजगीर गेस्ट हाउस की तीसरी तल्ले का जिस तरह से अवैध निर्माण कार्य शुरु हुये और दण्डात्मक कार्रवाई के आदेश के बाबजूद ढलाई भी पूरी कर ली गई, उसमें राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी की संलिप्ता भी साफ जाहिर होती है।