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    Sunday, November 24, 2024
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      ..और जांच के दूसरे दिन चंडी पंसस ने भ्रष्टाचार के आगे यूं घुटने टेका

      ‘गए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास’ वाली कहावत नालंदा के चंडी पंचायत समिति सदस्यों पर ही चरितार्थ हो गई। भ्रष्टाधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल रखें पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी गर्दन फंसते देख लिया यू टर्न।

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। कल तक चंडी के आवास पर्यवेक्षक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इस्तीफा देने पर तूले और आवास पर्यवेक्षक को हटाने की मांग पर अडे सदस्यों ने आखिरकार भ्रष्टाचार के आगे अपने घुटने टेक ही दिए।

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      चंडी पंसस द्वारा आज डीएम को सौंपे पत्र….

      चंडी प्रखंड के 22 पंचायत समिति सदस्यों में से 16 जिनमें प्रखंड प्रमुख और उप प्रमुख भी शामिल हैं, ने नालंदा डीएम को पत्र लिखकर आवास पर्यवेक्षक पर लगाए गए आरोप को वापस लेते हुए उन्हें क्लीन चिट दे डाली है।

      प्रमुख निर्मला देवी, उप प्रमुख पूनम देवी, सदस्य पुष्पा देवी,कुंदन कुमार, अनील कुमार, मानो देवी, फेकू कुमार, कृष्णा पासवान, रिंकू देवी,राजकुमार, रीता कुमारी, माधुरी सिन्हा आदि ने डीएम को पत्र लिखकर कहा है उन्होंने आवास पर्यवेक्षक रविकर रवि पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। वो बिल्कुल गलत है।

      उन्होंने यह आरोप ग्रामीणों के गलत जानकारी देने की वजह से लगाया गया था। उनके द्वारा लाभुको से 15-20 हजार की राशि वसूलने का आरोप निराधार है।

      आवास लाभुको की सूची पीएमवाईजी के मार्ग दर्शिका के अनुसार लाभुकों का चयन किया गया है ।

      उक्त सूची को ग्राम सभा से पारित कराकर ही अंतिम रूप दिया गया है। आवास सहायक पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया गया है।एवं उनकी सहमति सूची पर अंकित है।

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      दो दिन पहले डीएम को सौंपे पत्र…

      नालंदा डीएम के निर्देश पर डीआरडीए के डायरेक्टर संतोष कुमार श्रीवास्तव के द्वारा जब आवास पर्यवेक्षक पर लगें आरोप की जांच चल रही है।

      ऐसे में अचानक पंचायत समिति सदस्यों का यू टर्न लेना समझ से परे है ।आखिर किस दबाव में पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी शिकायत वापस ले ली।

      आखिर कल तक भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े जोर शोर से बात करने वाले पंचायत समिति सदस्यों को अचानक लकवा क्यों मार दिया ।

      डीएम के सामने आवास पर्यवेक्षक के खिलाफ कच्चा चिट्ठा रखने और उनके खिलाफ कार्रवाई पर अडे सदस्यों ने किस दबाव में अपना रूख बदला। यह सवाल सबके दिमाग में कौंध रहा है।

      अचानक पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा यू टर्न लेने के पीछे सूत्रों का कहना है कि डीआरडीए डायरेक्टर चंडी प्रखंड के सभी पंचायतों में आवास योजना में गड़बड़ी की जांच करने वाले थे। जबकि सदस्यों ने आवास पर्यवेक्षक पर गंगौरा, सालेपुर और नरसंढा पंचायत में ही गड़बड़ी की शिकायत की थी।

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      दो दिन पहले डीएम को सौंपे पत्र…

      अब ऐसे में जब सभी पंचायतों की जांच की बात सामने आई तो सदस्यों में खलबली मच गई। कुछ मुखियों की गर्दन फंसने लगी। मुखियों ने अपनी गर्दन फंसते देख पंचायत समिति सदस्यों पर शायद दबाव देने लगें कि अपने आरोप वापस लें लो। इधर हमारे सूत्रों ने बताया कि इस मामले को लेकर प्रमुख की कुर्सी भी खतरे में पड़ रही थी।

      वैसे जब डीडीसी के निर्देश पर डीआरडीए के डायरेक्टर जांच को चंडी पहुँचे थे, तब उन्होंने कहा कि था कि आजकल पेटिशन देने की परंपरा चल पड़ी है। कोई भी किसी के खिलाफ एक पेज में आवेदन दे देता है।

      डीआरडीए के डायरेक्टर ने पंचायत जनप्रतिनिधियों  को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि ‘गड़बड़ी तो आप भी करते हैं।आपके खिलाफ भी शिकायत मिलती रहती है।‘

      अब सवाल यह उठता है कि जनता के प्रतिनिधि जब खुद भ्रष्टाचार के आगे अपने निजी स्वार्थ में घुटने टेकने लगें तो आम जनता का क्या होगा। उसे भ्रष्टाचार से मुक्ति कैसे मिलेगी।

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