एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बिहार के नालंदा जिले के कई विभागों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। इसका कारण है कि जिन जिम्मेवार प्रशासनिक अफसरों पर लगाने की जिम्मेवारी है, वे ही अधिक लापरवाह या फिर उसमें दिखते हैं।
मामला सिलाव प्रखंड आपूर्ति विभाग की है। प्रखंड आपूर्ति विभाग के निरीक्षक ने एक डीलर की मनमानी की शिकायत को सही पाने के उपरांत संबंधित राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को दो बार अनुज्ञप्ति रद्द करने की अनुसंशा की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
एसडीओ स्तर से अदद डीलर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना भ्रष्ट व्यवस्था को किस हद तक नंगा करता है, उसे भलि भांति समझा जा सकता है।
सिलाव प्रखंड आपूर्ति विभाग के निरीक्षक ने अपने कार्यालय पत्रांक-124 दिनांकः 27.12.2017 को राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को एक पत्र प्रेषित की थी। यह पत्र करियन्ना पंचायत के जन प्रणाली बिक्रेता अर्जुन प्रसाद को लेकर जांच से संबंधित है।
आपूर्ति निरीक्षक ने करियन्ना, जयकिशुन बिगहा, दुलरुआ बिगहा, खेमजी बिगहा के लाभुकों के बयान का सत्यापन कर जांच रिपोर्ट दी थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार डीलर अर्जुन प्रसाद निम्न आरोप की पुष्टि की थी….
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निर्धारित मात्रा से अधिक राशि लेना और कम मात्रा देना।
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प्रत्येक माह राशन किरासन नहीं देकर राशन कार्ड पर अंकित करना एवं वितरण पंजी में जबरदस्ती अंगुठे का निशान लगवाना।
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माह नवंम्बर, 17 का राशन किरासन नहीं बांटना।
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खाद्यान्न जल जाने का बहाना बना कर माह अगस्त,17 का खाद्यान्न नहीं देना।
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डीलर अर्जुन प्रसाद के भाई भीम सिंह के द्वारा लाभुकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाना।
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वितरण के क्रम में कैशमेमो नहीं देना।
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डीलर से स्टॉक पंजी मांग किये जाने पर नहीं देना।
प्रखंड आपूर्ति निरीक्षक के उपरोक्त सारे आरोपों के पुष्ट प्रमाण भी राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को अपने पत्र में संलग्न करते हुये तत्काल प्रभाव से डीलर की अनुज्ञप्ति रद्द करने की अनुशंसा की थी। लेकिन इसकी अनसुनी कर दी गई। जबकि प्रखंड आपूर्ति निरीक्षक ने इस तरह की अनुसंशा दूसरी बार की थी।
जाहिर है कि राजगीर एसडीओ द्वारा विभागीय अनुशंसा के बाबजूद अदद डीलर के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया जाना उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर ही सबाल खड़े नहीं करते, अपितु डीलरों संग उनकी गलबहियां भी साफ स्पष्ट करती है।