“इस अतिक्रमण बाद की सुनवाई व अतिक्रमण बाद आदेश पारित करते समय जाने अनजाने जमीन की पैमाइश करने वाले अमीन , राजस्व कर्मचारी और अंचलाधिकारी से कहीं न कहीं कुछ चूक हुई है”
नालंदा ( राम विलास )। 15 दिनों के अल्टीमेटम की तिथि गुरुवार 6 जुलाई को समाप्त हो गई। इसके बावजूद राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के एक भी अतिक्रमणकारियों ने अपना अतिक्रमण स्वयं नहीं हटाया है। अवधि समाप्त होने के बाद प्रशासन सैरात भूमि पर से अतिक्रमण हटाने की तैयारी शुरू कर दिया है । मलमास मेला सैरात भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ प्रशासन का बुलडोजर चलेगा । अंचलाधिकारी राजगीर ने उच्चाधिकारियो से अतिक्रमण हटाने के लिए दंडाधिकारी और पुलिस वल माँगने की तैयारी कर रहे हैं ।
मालूम हो कि मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर में मलमास मेला सैरात की 73.03 एकड़ जमीन है, जिसका गजट भी सरकार के द्वारा किया गया है। सैरात की इस जमीन पर सरकारी भवनों को छोड़कर 33 निजी अतिक्रमणकारियों का अवैध कब्जा है।
राजगीर के अंचलाधिकारी सतीश कुमार ने सभी निजी अतिक्रमणकारियों को 15 दिन के भीतर स्वयं अतिक्रमण हटाने का अल्टीमेटम दिया था। अल्टीमेटम की अवधि गुरुवार 6 जुलाई को समाप्त हो गई है।
अंचलाधिकारी के अनुसार ज्ञान विकास पंडित और शिवनंदन प्रसाद के द्वारा जिला व्यवहार न्यायालय, नालंदा से स्थगन आदेश प्राप्त किया गया है। ज्ञान विकास पंडित द्वारा दायर मामले की सुनवाई 7 जुलाई को जिला व्यवहार न्यायालय में होना है, जबकि शिवनंदन प्रसाद के स्थगन आदेश के आलोक में 13 जुलाई को न्यायालय में सुनवाई की तिथि तय की गई है।
अंचल पदाधिकारी राजगीर द्वारा पारित आदेश के अनुसार साजन पासवान, नीतू देवी, राजेश मांझी, गोरे मांझी, पप्पू मांझी, जीतन मांझी, मंदोदरी देवी, मसूदन उपाध्याय, बाबा भीखन दास ठाकुर वाडी, लक्ष्मी देवी, बैजनाथ प्रसाद सिंह (69 डी छोड़ कर), मनोज राम, अमित राम, रामू राम , जयराम चौधरी, फरीद खान, शाहिद खान, शकील खान, सुकीद खान, रफीक खान, लाइक खान, बिंदा चौधरी, कृष्णा यादव, राजबल्लभ यादव, जयशंकर प्रसाद स्मृति भवन, डॉक्टर विनोदानंद शर्मा, सुनील कुमार, ज्ञान विकास पंडित, शिवनंदन प्रसाद, भूषण डोम और वृक्षा बाबा के विरुद्ध अतिक्रमण आदेश पारित किया गया है।
इस अतिक्रमण बाद की सुनवाई व अतिक्रमण बाद आदेश पारित करते समय जाने अनजाने जमीन की पैमाइश करने वाले अमीन , राजस्व कर्मचारी और अंचलाधिकारी से कहीं न कहीं कुछ चूक हुई है।
उदाहरण के तौर पर सरोजिनी देवी, पति सत्यनारायण उपाध्याय के नाम पर सैरात भूमि की जमाबंदी है। लेकिन नोटिस शिवनंदन उपाध्याय को भेजी गई है। बृज बिहारी दास के द्वारा मलमास मेला सैरात की 43 डिसमिल भूखंड का अतिक्रमण किया गया है इनका मामला जिला पदाधिकारी के कोर्ट में लंबित है। इसलिए इनके विरुद्ध अतिक्रमण आदेश पारित नहीं किया गया है ।
पारित आदेश के अनुसार सीता देवी की जमीन की पहली नापी में सैरात भूमि पर अतिक्रमण बताया गया, जबकि दूसरी नापी में इन्हें अतिक्रमण मुक्त घोषित किया गया है।
सिद्धार्थ होटल के संचालक विजय सिंह है। इस जमीन के असली मालिक डॉक्टर राजीव रंजन सिन्हा है। डॉक्टर सिन्हा से विजय सिंह लीज ले रखे हैं। अंचलाधिकारी के द्वारा जमीन मालिक को नहीं बल्कि लीज धारक को नोटिस किया गया है, जो नियमानुकूल प्रतीत नहीं होता है। इस जमीन पर हाईकोर्ट का स्टे आर्डर बताया गया है। लेकिन सीओ के हाईकोर्ट के आदेश की प्रति नहीं दी गई है।
सीओ ने बताया कि विधायक राजबल्लभ यादव और जयशंकर प्रसाद स्मृति भवन को छोड़कर आगे की परती जमीन पर अतिक्रमण बाद का आदेश पारित किया गया है ।
अंचलाधिकारी द्वारा पारित आदेश में वर्मीज विहार (बर्मा टेंपल) और धर्म अंकुर महासभा सप्तपर्णी ( बंगाल बुद्धिष्ट केंद्र) के विरुद्ध कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। घर की सैरात भूमि के नाते में इस अतिक्रमण घोषित किए गए हैं।