पटना (जयप्रकाश)। बिहार की राजनीति में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी कहते कुछ और करते कुछ और है। पल-पल सुर बदलने वाले मांझी ने आखिरकार एनडीए का साथ छोड़ ही दिया। पहले जदयू विधायक सरफराज आलम ने साथ छोड़ा तो अब एनडीए के घटक दल हम के साथ छोड़ने के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है।
पूर्व सीएम ने एनडीए का साथ ऐसे समय में छोड़ने का ऐलान किया है, जब बिहार के एक लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव होने वाले हैं।
कहते हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने टेलीफोन पर जीतन राम मांझी से बात की थी, लेकिन बात नहीं बनी। इधर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी फिलहाल दिल्ली में है। बिहार के राजनीतिक घटना क्रम को लेकर वे केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत कर रहे हैं।
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की एनडीए से नाराजगी का लाभ उठाते हुए प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने श्री मांझी से बंद कमरे में बात की। उसके बाद तेजस्वी यादव का साथ श्री मांझी का मिला। तेजस्वी यादव ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि वे मेरे पिता समान है।
एनडीए में लगातार प्रेशर पॉलिटिक्स करने वाले पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में शामिल होने के लिए भी अपनी शर्त रखी है। फिलहाल जो बातें निकल कर आ रही है। उनमें कहा जा रहा है कि श्री मांझी ने अपने पुत्र संतोष भारती तथा पूर्व शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल के लिए विधान परिषद की दो सीटें मांगी है।
पूर्व सीएम ने सीएम नीतीश कुमार को पहले ही अल्टीमेटम रखा था कि अगर उनकी शर्त नहीं मांगी गई तो अप्रैल में एनडीए छोड देने की बात कही थी। लेकिन दो माह पहले ही वे एनडीए को बाई बाई कह देंगे, इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की थी।
इधर एनडीए छोड़ कर महागठबंधन में आने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि एनडीए में नेताओं का शोषण हो रहा है।
इधर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के एनडीए छोड़ने पर एनडीए में हलचल मची हुई है। आने वाले दिन में बिहार की राजनीति में कई घटना क्रम देखने को मिल सकता है। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जीतन राम मांझी राजद के सहारे राज्यसभा में अपना कदम रखेंगे।
चूकि राजद ने पहले ही यूपी के पूर्व सीएम सुश्री मायावती को राज्यसभा भेजने की ऐलान किया था। लेकिन मायावती के मना करने के बाद राजद के पास विकल्प बनता है कि वे मांझी को राज्यसभा भेज सकती है।