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अब ‘चोर गिरोह’ और उसके रहनुमाओं की गिरेबां चंडी SHO के हाथ में

यह घटना नालंदा जिले के चंडी थाना के रामपुर पंचायत गांव की है। यहां जिस तरह के अपराध हुये हैं, उससे जुड़े तत्थ  ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्योंकि इस मामले में अब तक पुलिस खुद को कहीं लाचार बताते नजर आई तो कहीं कोरा बकवास करते। लेकिन अब….”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो। कुछ दिन पहले रामघाट चौक बाजार के एक डीजे दुकान में शटर तोड़ कर एक बड़ी चोरी की घटना हुई। पीड़ित ने थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई। यहां आए दिन चोरियां होती रही है। पहले कुछ शिकायतें दर्ज कराई गई थी। लेकिन पुलिस ने कभी कोई सकारात्मक कार्रवाईयां नहीं की।

यही कारण है कि लोग थाना में शिकायत दर्ज करने का कोई फायदा नहीं समझते। उल्टे बिना नजराना चोरी के मामले दर्ज नहीं होने की प्रथा से सब भिज्ञ हैं।CHOR POLICE CHANDI

इस बार रामपुर निवासी एक व्यक्ति के डीजे में चोरी की बड़ी घटना हुई, इसे लेकर खुद पीड़ित अपने स्तर से पड़ताल में जुट गया। इस दौरान उसे पता चला कि लोदीपुर गांव के दो लोग के घर में उसके चोरी गये समान है।

इसके बाद सरपंच के नेतृत्व में 10-15 लोगों ने अचानक उन दोनों घरों पर धावा बोलकर सर्च किया तो सारे समान बरामद हो गए। यही नहीं, अन्य चोरी के सामान भी बरामद हुये और एक टीन एजर चोर गिरोह का पता चला। इस दौरान भी न तो सरपंच, न तो कोई ग्रामीण और न ही 3 चौकीदार में कोई एक ने पुलिस को सूचना दी।

कहते हैं कि इस मामले की जानकारी मिलने पर थाना प्रभारी मुकेश कुमार ने पीड़ित को कई बार फोन कर थाना बुलाया, लेकिन नहीं आया। इसके बाद उन्होंने पुलिस बल भेजकर बुलवाया, फिर भी नहीं आया। हालांकि यह बड़ा दिलचस्प बात है कि एक थानेदार किसी आम जन को इस तरह थाना बुलाए और वह न आने की जुर्रत दिखाये।

मामला हिलसा डीएसपी मुश्फिक अहमद के संज्ञान में गया। बाद में उन्होंने किसी पक्ष के द्वारा कोई शिकायत नहीं करने की बात इस मामले को टाल गए। लेकिन अधिकारिक सूत्रों के अनुसार एक वरीय पुलिस पदाधिकारी ने जिला अपराध नियंत्रण की बैठक में इस मामले को लेकर जब चर्चा की तो डीएसपी ने एसपी सुधीर कुमार पोरिका को जानकारी दी कि मामला छोटी-मोटी चोरी का है और चोरी करने वाले काफी बच्चे हैं, जुएनाइल हैं।

अब जब डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर ऐसी बात कर दें तो मामला रफा-दफा होना स्वभाविक है। लेकिन कहते हैं न कि ‘उपर वाले के खेल बड़े निराले रे भईया’, यही कहावत कल देर शाम चरितार्थ हो गई। और एक बार फिर से सब भांडा फूट गया। शायद अब डीएसपी भी ‘जुमेनाइल’ के चादर से सच नहीं छुपा सकेगें। अदद जुमेनाइलों द्वारा लोहे  की मजबूत शटर तोड़ कर चोरी की घटनाओं को  अंजाम  देना भी आश्चर्यजनक  पहलु है।

जिन लोगों के सामान चोरी हुये थे, उनमें से एक परिजन ने एक आरोपित चोर के घर में घुस कर कुछ चोरी गये समान की मांग को लेकर मारपीट की। उसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस आई और कथित चोर के पिता को उठा कर थाना ले गई। जाहिर है कि अब पुलिस जांच-कार्रवाई के आधार का बहाना नहीं बना पाएगी।

उधर, कल के पीड़ित ने थाना में लिखित शिकायत दी है कि पड़ोस के दो भाई ने उसके घर में घुसकर महिला परिजनों के साथ छेड़खानी करते हुये मारपीट की। हालांकि ग्रामीण बताते हैं कि चोरी गए समान को लेकर दोनों के बीच पहले तू-तू मैं-मैं हुई और बाद में मारपीट में बदल गई।

इस पूरे मामले में सबसे गंभीर पहलु यह उभरकर सामने आया है कि सरपंच ने चोरी के आरोपी के परिजनों से पैसे लेकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया। पर मारपीट की ताजा घटना सब कुछ उजागर कर देती है।

अगर पुलिस इस मामले का शुरुआती दौर में ही कड़ा संज्ञान लेती तो शायद मारपीट का एक नया अपराध नहीं होता। ऐसे भी आगे भी ऐसे घटनाएं न होने की कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि चोर-और चोरी को लेकर गुटीय तनाव व्याप्त होने के साफ संकेत मिल रहे हैं।   

अब देखना है कि पुलिस आगे किस तरह सारे मामले को लेकर कार्रवाई करती है। क्योंकि ऐसे मामले से जुड़े लोग ही पुलिस के लिये भी खतरा साबित होते हैं और समाज के लिये भी। उत्पन्न मॉव लींचिंग की घटनाएं के कारक भी यही लोग बनते हैं।

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