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    Sunday, November 24, 2024
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      हिलसा में चावल घोटाले का असर, एसएफसी गोदाम में लटका ताला, बंद हुई सप्लाई

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (चन्द्रकांत सिंह)। तकरीबन पौने दो करोड़ के हुए चावल घोटाले का असर शनिवार से स्पष्ट तब दिखा जब डीलरों को चावल की सप्लाई करने वाले एसएफसी (राज्य खाद्य निगम) के गोदाम में न केवल ताला लटका दिखा बल्कि पूरा परिसर वीरान पड़ा था।

      अनुमंडल कार्यालय परिसर के निकट स्थित एसएफसी के गोदाम से उपभोक्ताओं के बीच वितरण के लिए चावल की सप्लाई स्टेप डोर डिलीवरी के माध्यम से की जाती है। एसएफसी के गोदाम में वहीं से चावल आता था जहां से करीब पौने दो करोड़ रुपये के चावल का घपला हुआ करता था।HILSA CRUPTION 1

      चर्चा है कि शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद एसएफसी गोदाम में चावल की आपूर्ति नहीं हुई। हलांकि इन सारे तथ्यों से अनजान कई डीलर रोस्टर के मुताबिक अनाज का उठाव करने गोदाम पहुंच गए, लेकिन किसी को अनाज नहीं मिला।

      चर्चा है कि कुछ देर तक इंतजार के बाद भी न गोदाम खुला और न ही कोई लोग वहां पहुंचे। गोदाम से जुड़े लोगों को आसपास मंडराते देख डीलर बंद का कारण जाना तो हतप्रभ हो गए। जैसे डीलरों के कान में घोटाले की खबर पहुंची वैसे चावल उठाव के लिए पहुंचे डीलर वहां से खिसक गए। हर दिन अनाज उठाव को लेकर वाहनों के शोर से सराबोर रहने वाला गोदाम परिसर चंद मिनट में ही वीरान हो गया।

      गोदाम से जुड़े लोग भी खुद दूर रहकर गोदाम की स्थिति का नजारा लेते दिखे। अनाज के उठाव नहीं होने से सीधे तौर पर डीलर और उससे जुड़े उपभोक्ताओं पर होना तय है। ऐसी स्थिति में आने वाले दिनों में डीलर और उपभोक्ताओं के बीच कोई कलह पैदा हो तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।

      घपले-घोटाले के खुलासे में क्यूं हुआ विलंब!

      हिलसा में हुए करीब पौने दो करोड़ रुपये के घपले-घोटाले के खुलासे में हुए विलंब को लेकर शहर तथा आसपास के इलाके में तरह-तरह की चर्चा हो रही है।HILSA CRUPTION

      चर्चा है कि तीन गोदाम से करीब चौदह हजार बोरा चावल अदना-सा कर्मचारी एक दिन और अकेले गायब हुए नहीं कर सकता। इस गोरखधंधे में आरोपी संजीव कुमार को प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से किसी का सहयोग जरुर मिला होगा। क्योंकि एक दिन में चौदह हजार बोरा गोदाम से खुले तौर पर आसानी से बिक्री नहीं की सकती।

      चर्चा है कि समय-समय पर गोदाम में आगत और निर्गत चावल के अलावा वास्तविकता की जांच होती रहती तो घपला-घोटाला होता ही नहीं। अगर होता भी इतनी मोटी रकम की नहीं बल्कि हजार-बजार पर ही खुलासा हो जाता।

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