Home आस-पड़ोस हिलसा प्रखंड-उपप्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज, कुर्सी बरकरार

हिलसा प्रखंड-उपप्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज, कुर्सी बरकरार

पिछले दस दिन पहले लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खारिज हो जाने के साथ ही नालंदा  जिले के हिलसा प्रखंड प्रमुख एवं उपप्रमुख की कुर्सी बरकरार रह गयी।”

हिलसा ( धर्मेन्द्र)।  पंचायत सदस्यों के अनुरोध पर गुरुवार को प्रखंड परिसर स्थित डॉ राममनोहर लोहिया सभागार में कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था में विशेष बैठक हुई। प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी की अध्यक्षता में शुरु हुई बैठक में उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा के अलावा बीडीओ सह कार्यपालक पदाधिकारी राजदेव कुमार रजक मौजूद थे।

बीडीओ बार-बार माईक के माध्यम से विशेष बैठक में शरीक होने की घोषणा कर रहे थे। लेकिन घंटे भर का वक्त देने के बाद भी न तो सत्ता और न ही कोई विपक्षी सदस्य बैठक में शरीक हुए।

निर्धारित समय तक सदस्यों के नहीं आने पर कार्यपालक पदाधिकारी श्री रजक द्वारा करीब दस दिन पूर्व प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी तथा उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खारिज हो जाने की घोषणा की गई।

कार्यपालक पदाधिकारी के इस घोषणा के साथ ही न केवल दस दिनों से चली आ रही पंचायत की राजनीत का उथल-पुथल शांत हुआ बल्कि प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी एवं उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा की कुर्सी भी बरकरार रह गयी।

अविश्वास प्रस्ताव के खारिज होने के बाद शुकून की सांस लेने वाले प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी एवं उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा के सभागार से बाहर निकलते ही समर्थकों का हुजूम फूलमाला पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। समर्थकों के साथ प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी एवं उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा भी भिक्ट्री का निशान दिखाकर खुशी का इजहार किया।

प्रखंड के इक्कीस पंचायत समिति सदस्यों में सात सदस्यों द्वारा प्रमुख रमेशचंद्र चौधरी एवं उपप्रमुख कुमारी किरण सिन्हा के विरुद्ध अविश्वास व्यक्त करते हुए विशेष बैठक बुलाने की मांग की गई थी।

सदस्य श्वेता स्वर्ण भारती, सुरेन्द्र प्रसाद, रीना देवी, रजनी देवी, जुली कुमारी, वेदही कुमारी एवं अजीत कुमार का प्रमुख एवं उपप्रमुख पर नियम के विरुद्ध काम करने, विकास कार्यों का सही ढंग से क्रियान्वित नहीं करने के अलावा खास लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से योजनाओं के चयन में मनमानी का आरोप लगाया गया था।

सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के साथ पंचायत की राजनीत गरमा गयी। पंचायत की राजनीत में दिलचस्पी रखने वाले कतिपय नेता अपने-अपने स्वार्थ सिद्धि में जोड़तोड़ की राजनीत करनी शुरु कर दी।

इसी बीच सत्ता पक्ष के समर्थक बहुमत से अधिक सदस्यों को लेकर बिहार से बाहर घूमने चले गए, जो बैठक सम्पन्न होने तक हिलसा पहुंचे ही नहीं। संख्या बल कम देख विपक्षी सदस्य भी बैठक में नहीं गये।

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