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हाय री नालंदाः मुर्दों को मिला लोन, मुर्दों ने निकासी भी की, अब जिंदे हो रहे परेशान

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 “राष्ट्रीय-लोक अदालत के जरिए समझौता-शिविर के माध्यम से राशियों की रिकवरी की जा रही है। बेकसूर सारे किसान परेशान हैं। उचित कार्रवाई आज तक विलंबित है……”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। मामला नालंदा जिले के सरमेरा स्थित गोपालबाद गाँव के मध्य बिहार ग्रामीण बैंक शाखा से जुड़ा है। इसका खुलासा तब हुआ जब फरवरी 2012 के अंतिम सप्ताह में उक्त बैंक से संबद्ध केसीसी और स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत महिला समितियों के ऋणधारकों को बकाया ऋण की नोटिस भेजी गयी।

nalanda bank chit cruption 1हद तो तब हो गई कि जिनके घरों में खाने के लाले थे और जिन्होंने बैंक का मुँह तक नहीं देखा, उनलोगों को भी नोटिस मिलने लगा तो फिर हंगामा मच जाना स्वाभाविक था।

सर्वप्रथम ग्रामीणों ने 06/03/2012 को तत्कालीन शाखा प्रबंधक जैनेन्द्र कुमार से लिखित शिकायत की। बात नहीं बनी तो 09/03/2012 को अस्थावाँ के विधायक जितेंद्र कुमार को लिखित रूप में इसकी सूचना दी गयी।

बाद में ग्रामीणों ने शिष्टमंडल के साथ 15 मार्च,2012 को बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक दीपक श्रीवास्तव, तत्कालीन नालंदा पुलिस अधीक्षक, बैंक के प्रधान कार्यालय पटना के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री बिहार-सरकार एवं मुख्य सचेतक सत्तारूढ़ दल को ज्ञापन सौंपा।

16 मार्च,2012 को उसी शिष्टमंडल ने वित्त मंत्रालय एवं नालंदा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। बिहार विधानसभा में प्रश्न भी उठाया गया। आशा की किरणें प्रस्फुटित हुईं।

म.बि.ग्रा.बैं. प्रधान कार्यालय पटना के माध्यम से विशेष निरीक्षण वरीय पदाधिकारी श्री कृष्ण प्रसाद शर्मा, पिता- स्व. रामशीष सिंह द्वारा मार्च 2012 के अंतिम सप्ताह से लगातार एक पखवाड़े तक जांच किया गया।

जांचोपरांत दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कुल बारह कांड यथा सरमेरा थाना कांड संख्या- 21/12, 95/12, 96/12, 97/12, 98/12, 99/12, 100/12, 101/12, 102/12, 103/12, 104/,…12 एवं 105/12 प्रतिवेदित है।

उक्त निरीक्षक से असंतुष्ट ग्रामीणों द्वारा सरमेरा प्रखंड कार्यालय के सामने 03/05/2012 को धरना-प्रदर्शन भी किया गया तथा उसी दिन महामहिम राज्यपाल, नालंदा जिलाधिकारी एवं माननीय मुख्यमंत्री बिहार-सरकार को ज्ञापन भी सौंपा गया।

2013 में सूचना का अधिकार के तहत मांग भी की गई थी कि किन-किन खातों से कितनी-कितनी राशियों का गबन किया गया है? बैंक अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को सुपुर्द कर दिया गया है। इस प्रकार जांच में व्यवधान उत्पन्न होने का कारण बताकर उक्त सूचनाएं नहीं मिल सकीं।

मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के तहत किसानों से जुड़े मामलों को लेकर 14/03/2015 को 16 पृष्ठीय और 53 हस्ताक्षरित आवेदन प्रधानमंत्री भारत-सरकार के पास भी संप्रेषित किया गया था।

Govt of India, Ministry of Agriculture, Dept of Agriculture Cooperation, Krishi Bhavan, New Delhi, Dated: 29 June, 2015 ” No.7/13/15- Credit- 1 ” से 15/07/2015 को एक पत्र मिला परन्तु आजतक उचित कार्रवाई विलंबित है।

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