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    Sunday, November 24, 2024
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      सोशल मीडिया पर अब उड़ी 25 अप्रैल को यूं ‘भारत बंद’ की अफवाह

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। सोशल मीडिया पर 10 अप्रैल को भारत बंद की अफवाह जहाँ सच हुई, वहीं एक बार फिर से सोशल मीडिया पर 25 अप्रैल को सामान्य तथा ओबीसी द्वारा एक बार फिर से भारत बंद करने की आवाज उठ रही है।

      पिछली बार भी दो अप्रैल को एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में आहूत भारत बंद के अगले दिन से ही सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने शुरू हो गया कि 10 अप्रैल को सामान्य वर्ग के लोग जातिगत आरक्षण के विरोध में भारत बंद कराएँगे।social media BAND social media VIRAL

      यह अफवाह सच साबित हुई और बिना किसी प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दल तथा किसी संगठन के भारत बंद कई राज्यों में असरदार रहा ।

      भारत के इतिहास में भारत बंद की यह पहली ऐसी घटना थी, जिसमें कहीं न पोस्टर-बैनर चिपका और न ही लाउडस्पीकर से भारत बंद की घोषणा की गई।

      बावजूद कई राज्यों में बंद का अच्छा खासा असर देखा गया। भारत बंद के दौरान हिंसा, आगजनी, गोलीबारी तथा मारपीट तक की घटनाएँ सामने आई।

      सोशल मीडिया पर एक बार फिर से भारत बंद को लेकर अफवाह उड़नी शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर 25 अप्रैल को फिर से भारत बंद का आह्वान किया जा रहा है।  इस बार एससी-एसटी के खिलाफ आग भी उगली जा रही है।

      भारत बंद को लेकर कहा जा रहा है…

      “25 अप्रैल को फिर होगा भारत बंद। भारत बंद अब होगा महाआंदोलन। आरक्षण हटाओ देश बचाओ। सब एक समान।  सबका एक अधिकार।

      अगर आरक्षण होगा तो फिर एससी-एसटी वालों के साथ फिर छुआछूत भी होनी चाहिए। अगर सरकारी नौकरी में अलग मानती है तो हम बराबर क्यों मानें?  इस तरह के पोस्ट वायरल हो रहे हैं।”

      मंगलवार को सोशल मीडिया के द्वारा भारत बंद के बारे में सोचे तो यह चिंता का विषय है। अभी तक हम मानते रहे है कि सोशल मीडिया के जरिए समाज विरोधी तत्व समाज के बीच तनाव पैदा करते रहे हैं।

      सोशल मीडिया आजकल विचारों के आदान प्रदान का एक सशक्त माध्यम माना जाता है, जहाँ संदेश एक दूसरे से होते हुए हजारों लोगों तक पहुँच जाता है। दूसरी तरफ आरक्षण को लेकर सोशल मीडिया पर इसके समर्थन और विरोध में स्वर बढ़ गया है।

      इसकी आड़ में जातीय तनाव की रोटी सेंकने वाले कौन लोग हैं? अगर इसकी जांच पड़ताल सही ढंग से की जाए तो इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग या संगठन काम कर रहा है, उसका पर्दाफाश हो सकता है।

      अगर सोशल मीडिया के आह्वान पर भारत बंद हो सकता है तो यह गंभीर चिंतन का मामला बनता है और इसकी जबाबदेही राज्य व केन्द्र सरकार को निकम्मेपन के रुप में लेनी चाहिये।

      फेक न्यूज चलाने वाले लोग तथा इसकी आड़ में जातीय दंगा और तनाव पैदा करने वाले तत्व सोशल मीडिया की सूखी घास को भडकाने के लिए एक चिंगारी ढूँढते रहते हैं।

      अगर सोशल मीडिया पर फिर से 25 अप्रैल को भारत बंद की अफवाह उडी है तो सरकार और पुलिस प्रशासन को इसके लिए आगे आना होगा और समाज में फैले ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने की जरूरत है, ताकि सोशल मीडिया का दुरूपयोग न हो। इसकी विश्वसनीयता बनी रहे।   

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