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‘सैंया भईल कोतवाल..’ कहावत यूं चरितार्थ कर रही हैं डीएसपी की टीचर मैडम

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एक तरफ जहां नालंदा जिले के पुलिस थानों में सरकारी वाहनों का टोटा है, वहीं यहां कई ऐसे अफसर हैं जो संसाधनों का बेजा इस्तेमाल अपने निजी स्वार्थ में खूब कर रहे हैं।”

नालंदा। एक्सपर्ट मीडिया न्यूज टीम द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त पुष्ट प्रमाण के अनुसार नालन्दा जिला पुलिस क्रेन्द्र में पदस्थापित डीएसपी प्रारक्ष अजित कुमार लाल द्वारा सरकारी ड्राइवर, ईंधन समेत पुलिस वाहन का दुरुपयोग लंबे अरसे से अपने निजी स्वार्थ के लिये किया जाता है।nalanda police dsp teacher madam1

डीएसपी प्रारक्ष अजित कुमार लाल की पत्नी इंदु किरण पटना जिले के प्रखंड अठमलगोला के श्रीबाबु रामदिहल सिंह कमरापर स्कूल मे शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं और वे कई वर्षों से सरकारी पुलिस वाहन से रोजाना आना-जाना करती है। उसमें ईंधन भी विभागीय खजाने से डाला जाता है और ड्राईवर भी सरकारी होता है।

आश्चर्य की बात है कि जहां नालदा जैसे सवेदनशील जिले के कई थानो में कमी के कारण प्राईवेट डाईवरों से काम लिया जा रहा है, वहीं प्रारक्ष डीएसपी एक नहीं, तीन-तीन सरकारी डाईवर को अपने मातहत रखे हुये हैं।

नालन्दा जिला नितिश कुमार के गृह जिला कहलाता है और माह में एक बार जरूर उनका आवागवन यहां होता रहता है। सबसे बडी बात कि डीएसपी की मैडम की सरकारी गाडी जिस रास्ते से स्कूल तक जाती है, उस रास्ते से मंत्री और विधायक का आना जाना आम बात है। लेकिन कभी सरकारी ससाधनों के इस दुरुपयोग की की ओर ध्यान नही गया। जबकि नालंदा जिला का पूरा पुलिस महकमा पूरी तरह से वाकिफ है।

‘सैंया भईल कोतवाल तो डर काहे का’ वाली कहावत चरितार्थ करते डीएसपी की टीचर मैडम रोजाना जिला पुलिस क्रेन्द्र से सरकारी संसाधन पर बैठ कर निकलती है और वापस लौटती है

इस दौरान रास्ते में अगर कहीं जाम मे फंस जाती है तो इनके अंगरक्षक बने सरकारी डाईवर बीच सड़क खूब लाठियां भांजता है।

जिस थाने के पास से शिक्षिका बैठी डीएसपी गाड़ी पर होती है, वहां के चौकीदार-सिपाही तक सलामी ठोकते नजर आते हैं।

बकौल डीएसपी की टीचर मैडम इंदु किरण को पुलिस वाहन से नियमित स्कूल जाने-आने वाले डाईवर राकेश कुमार शाह,  “क्या करे मजबुरी है। इनके अन्डर में हम लोग है और ये जहां चाहे वहां भेज देते है।

डाईवर ने आगे कहना है कि तेल जब गाडी में कम होता है तो डीएसपी प्रारक्ष के द्वारा कूपन काट दिया जाता है और जिस टंकी से सरकारी तेल मिलता है, वहीं से तेल भरवाने भेज दिया जाता है।

इसी तरह उनके दूसरे सरकारी डाईवर वकिल कुमार ने बताया कि जिले के कई थानों में कमी की वजह से प्राईवेट डाईवर पुलिस वाहन चला रहे हैं। जबकि डीएसपी प्रारक्ष तीन सरकारी डाईवर को खुद की सुविधा के लिये अपने पास रखे हुये है।

जब हमारी एक्सपर्ट मीडिया न्यूज टीम के इस ‘स्टींग ऑपरेशनट के दौरान अनेक सिपाही और हवलदार ने गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि डीएसपी प्रारक्ष का यहां अपना कानुन चलता है। वह जब चाहें, जिसे चाहें, जहां चाहें, पुलिस को अपनी शिक्षिका पत्नी की सुरक्षा (सेवा) में लगा देते हैं।

इन सबकी जानकारी जिले के पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी को भी है। लेकिन कहते हैं कि पुलिस केन्द्र के डीएसपी की पहुंच और पैरवी के आगे पंगा लेने से हिचकते हैं। इसी हिचकिचाहट में सरकारी संसाधनों का बेजा इस्तेमाल जारी है और राम जाने कब तक जारी रहेगी?  

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