एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (काली चरण साहू)। सरकार विकास के लाख दावे करें लेकिन, राजधानी रांची जिले के बुढ़मू प्रखण्ड क्षेत्र के मक्का पंचायत के चकलू टोला में पहुंचते ही सारा दावा टांय टांय फिस्स हो जाता है।
चकलू टोला चारों तरफ नदी से घिरा हुआ है और वहां जाने के लिए ना सड़क है और ना पूल। चकलू टोला में आदिवासी समुदाय के मुण्डा जाति के करीब 15 परिवार रहते है। चकलू टोला में ना तो किसी का शौचालय है, ना ही इंदिरा आवास और ना हीं किसी को गैस कनेक्नश मिला है।
करीब 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके धर्मा मुण्डा व उसकी पत्नी पुरनी देवी आज भी राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन और आधार कार्ड से वंचित है। धर्मा का आजीविका का मुख्य साधन मौसमी खेती है।
इस उम्र में भी वह जी तोड़ मेहनत करके जमीन के पत्थर को हटाने का प्रयास कर रहा है जिससे वह वहां कृषि कार्य कर सकें। लगभग 70 वर्षीय शुक्रा मुण्डा का मकान कभी भी ध्वस्त हो सकता है।
रामप्रसाद मुण्डा का लड़का रौषन मुण्डा एक हाथ से विकलांग है और उसका विकलांग प्रमाण पत्र बन चुका है और रामप्रसाद मुण्डा ने पेंशन के फार्म भी भरा लेकिन रौशन को विकलांग पेंशन नहीं मिलता है।
गांव में एक चापानल है जो वर्षों से खराब पड़ा हुआ है। वहां के लोग कुंआ का पानी पीते है, जिसमें आज तक कभी भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से ब्लिचिंग पावडर नहीं डाला गया है। कभी भी कोई अधिकारी वहां नहीं जाते है।
स्थानीय विधायक जितु चरण राम ने कहा कि चकलू टोला में इसी वर्ष सड़क व पुल का कार्य शुरू हो जायगा। साथ ही कहा कि उक्त टोला के निवासियों को प्रखण्ड व अंचल के माध्यम से मिलने वाला लाभ के लिए वे स्वंय प्रयास करेगें। धर्मा मुण्डा का आधार कार्ड तत्काल बनवाया जायगा। इसके लिए बीडीओ को निर्देश देने की बात कहीं।