” स्कूल मेंटेनेंस और टेबल बेंच के लिए जब भी आला अधिकारी से बात होती है तो माइनॉरिटी स्कूल कह कर मामले को लटका दिया जाता है, लेकिन स्कूल के छत से एक बोर्ड चिपकाया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि सरकार की ओर से सभी स्कूलों में टेबल बेंच दे दिया गया है……..”
ओरमांझी। अब्दुल कय्यूम अंसारी उर्दू मिडिल स्कूल इरबा कहने को तो सरकारी स्कूल है, मगर अल्पसंख्यक स्कूल होने की सजा स्कूल भुगत रही है।
स्कूल के बच्चे जमीन पर ही बैठकर शिक्षण ग्रहण करते हैं। बैठने को न तो टेबल बेंच है न ही दरी है, जिस पर छात्र-छात्राएं बैठकर पढ़ाई कर सकें।
ऐसे में छात्रों का कपड़े प्रत्येक दिन गंदे हो जाते हैं और पढ़ाई भी सही से नहीं हो पाती है। स्कूल के दरो दीवार भी काफी जर्जर अवस्था में है। खिड़कियां टूटी हुई है।
जगह जगह स्कूल के क्लास रूम से छत के सीमेंट झड़ते रहते हैं। जिससे स्कूल के 365 छात्र-छात्राओं को स्कूल परिसर में बैठकर पढ़ाई करने में परेशानी होती है। स्कूल में टेबल बेंच नहीं है छात्र-छात्राएं जमीन पर बैठकर करते हैं पढ़ाई मगर सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है।
स्कूल के प्राचार्य खुर्शीद अनवर ने बताया कि प्रखंड के सभी स्कूलों में सरकार की ओर से सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कर दिया गया है, मगर इस स्कूल में सभी सुविधाएं नहीं मुहैया हुई है। जब भी स्कूल की मेंटेनेंस और टेबल बेंच के लिए सरकार के आला अधिकारी से बात होती है तो माइनॉरिटी स्कूल कह कर काम को लटका दिया जाता है।
ऐसे स्कूल के छत पर एक बोर्ड लटकाया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि सरकार की ओर से सभी स्कूलों में टेबल बेंच दे दिया गया है। इससे सरकार की पोल खुल जाती है
अब जबकि चारों और स्कूल की स्थिति पर लोग बात कर रहे हैं और सरकार की विशेषताओं को चौक चौराहों पर चर्चाएं कर रहे हैं।
इसे देखते हुए 29 दिसंबर को आजसू पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रखंड अध्यक्ष दिगंबर महतो के नेतृत्व में प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार अभिनव स्वरूप से प्रखंड मुख्यालय कार्यालय में मुलाकात करके एक ज्ञापन सौंपकर स्कूल की स्थिति बेहतर करने की बात की।
मौके पर संगठन के मीडिया प्रभारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी से स्कूल की स्थिति शीघ्र बेहतर करने के बात करते हुए कहा कि बच्चे ठंड से ग्रस्त हैं। जमीन में बैठ कर पढ़ाई करने से उनकी तबीयत दिन व दिन खराब हो रहा है।
वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच-पड़ताल करते हुए स्कूल के बच्चों को सरकारी सुविधा देने के लिए कोशिश किया जाएगा। स्कूल में साक्षरता विभाग की ओर से एक बार भी सुध नहीं लिया जाता है।
अब देखना होगा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी इस मामले में कितनी गंभीरता से स्कूल की ओर ध्यान देते हैं और स्कूल के बच्चों को टेबल बेंच मुहैया कराने में सक्षम हो पाते हैं।