“शिक्षकों की मानें तो गांव में कई सालो से इसी तरह खुले आसमान में बच्चो को शिक्षा प्रदान की जा रही है, वहा पेयजल स्रोत की कोई व्यवस्था नहीं है।”
छतरपुर (राजेंद्र सिंह)। कुर्सी में रहने की हैट्रिक बना चुके शिवराज सिंह चौहान के राज में मध्य प्रदेश में चौतरफा प्रगति का ढोल पीटा जा रहा है लेकिन राज्य में सामाजिक विकास की ज़मीनी हकीकत बेहद दयनीय और शर्मनाक है।
सर्व शिक्षा अभियान में भैंस के तबेले में पढ़ाई हो रही है और पीने के साफ़ पानी के अभाव में गांव के बच्चे नाले का पानी पीने के लिए मजबूर हैं । ये कहानी है राज्य के छतरपुर ज़िले की।
छतरपुर ज़िले के राजनगर ब्लॉक में जिला शिक्षा विभाग की पोल खोलती तस्वीरे सामने आ रही है जो बता रही हैं कि बच्चो का भविष्य किस तरह बर्बाद किया जा रहा है।
मामला राजनगर तहसील के सुरजपुरा ग्राम पंचायत के बिगुलिया पुरा गांव का है जहॉ न तो बच्चो के लिये प्राथमिक शाला की बिल्डिंग है और न ही पीने को पानी।
पिछले कई सालों से मासूम बच्चे ठंड में पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा लेने को मजबूर है और हैंडपंप न होने से खेत से निकले नाली के गंदे पानी को पीकर अपनी प्यास बुझा रहे है।
शिक्षक की माने तो गांव में कई सालो से इसी तरह खुले आसमान में बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है, यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है।
जब इस पूरे मामले में जिले का आला अधिकारी से बात की तो वह मामले से अनभिज्ञ बताकर जांच के बाद कार्रवाई की बात कह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आए।
बहराहाल, शिवराज सिंह चौहान लाख दावे करें कि उनकी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में करोडो रूपए खर्च कर रही है, लेकिन आज भी सरकारी स्कूल बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे है।