Home देश शौचालय निर्माण: नियमों के फेर में फंसा लाभुकों का भुगतान

शौचालय निर्माण: नियमों के फेर में फंसा लाभुकों का भुगतान

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। हर घर शौचालय हो, लोगों को खुले में शौच से मुक्ति मिले सरकार ने इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन तथा लोहिया ग्राम स्वच्छता अभियान चला रखा है। इसके तहत सरकार लाभुकों को शौचालय निर्माण के लिए अनुदान भी देती है। लेकिन यहां सबसे बड़ा व्यवधान व्यवस्था को लेकर है। नई व्यवस्था के तहत चयनित वार्ड या पंचायत जब तक पूर्ण रूप से खुले में शौच से मुक्त नहीं बन पाएंगे तब तक अनुदान की राशि लाभुकों के खाते में नहीं दी जाएगी।

सवाल उठता है कि एक वार्ड में सभी वर्ग के लोग बास करते हैं। इन्हीं में से एक ऐसा वर्ग होता है, जिन्हें आज तक न अपनी जमीन और न अपना मकान हो पाया है। ऐसी स्थिति में शौचालय निर्माण उनकी कल्पना से उपर की बात साबित हो रही है।nalanda odf 1

बता दें कि दो वर्ष पूर्व गांधी जयंती के अवसर पर हर गांव को निर्मल बनाने की दिशा में एक अभियान छेड़ दिया। इसके तहत सरकार ने हर घर शौचालय हो तथा बाहर में लोग शौच न करें। इस उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन अभियान की शुरूआत की।

अभियान के शुरूआती काल में प्रावधान रखा गया कि शौचालय बनते जाएगा तथा लाभुकों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इधर सरकार ने शौचालय निर्माण का नियम में भी फेरबदल किया तथा प्रोत्साहन राशि पाने का तरीका भी बदल दिया।

नये प्रावधान के तहत अब किसी वार्ड या पंचायत के सभी परिवारों में जब तक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाता है। तब तक उस वार्ड या पंचायत के लोगों को अनुदान की राशि नहीं मिल पाएगी।

सवाल उठता है कि किसी वार्ड या पंचायत में ऐसे तबके भी बास करते हैं जिन्हें न रहने के लिए घर है और न ही जमीन। ऐसी स्थिति में शौचालय लोग बना ले आसान नहीं दिखता।

इधर प्रोत्साहन राशि के लिए लाभुकों को विभाग की चिरौरी करनी पड़ रही है। प्रखण्ड  में सैकड़ों ऐसे लाभुक हैं जिन्होंने महीनों पूर्व न सिर्फ शौचालय बनाए। बल्कि प्रोत्साहन राशि पाने के लिए कागजी प्रक्रिया भी पूर्ण की। बावजूद आज तक उन्हें राशि नहीं मिल पायी है।

आज की तारीख में ऐसे लाभुकों की संख्या अकेले नालंदा जिले के करायपरसुराय प्रखण्ड में 100 से उपर हैं। जिन्हें प्रोत्साहन राशि का इंतजार है। आम तौर पर शौचालय निर्माण की दिशा में विभाग जितना हाय तौबा कर रहा है,उस हिसाब से धरातल पर शौचालय निर्माण गति नहीं पकड़ पा रही है।

उपर से प्रोत्साहन राशि प्रदान करने में बाबुओं के द्वारा की जा रही टाल-मटोल की नीति इस दिशा में रूकावट पैदा कर रही है। भले ही विभाग जितना भी हायतौबा मचा ले परन्तु शौचालय मामले में आज भी काफी निचले पायदान पर है।

प्रखंड के मकरौता के रूपसपुर गांव के वार्ड संख्या 7 में  लाभुक सबिता देवी कहती है कि उसने अपने जेवरात गिरवी रख शौचालय का निर्माण पांच माह पूर्व में बनाये थे। लेकिन अब तक अनुदान की राशि भक्तन नही हुई। उधर जेवरात पर सूद भी चल रही है।

पंचायतों के ग्रामीण सुलेखा देवी, चिंता देवी, लगनी देवी, शिदेश्वर प्रसाद आदि बताते हैं कि खुले में शौच के दुष्परिणाम को देख पहले शौचालय बनाने का ठाना। शौचालय निर्माण उपरांत प्रोत्साहन राशि के लिए प्रखण्ड मुख्यालय को आवेदन दिया। विभाग से जांच-पड़ताल भी की गई। परन्तु आज तक राशि नहीं मिल पायी है।

कुछ दिन पूर्व  लाभुकों ने जब प्रखण्डकर्मी से संपर्क किया तो बताया गया कि अब नियम बदल गया है। उन लोगों का भुगतान जिओ टैगिंग होने के बाद भुकतान हुगा। तब से इंतजार में हैं कि कब राशि मिल पाएगी।

यह रोना सिर्फ इन लोगों का ही नहीं है। बल्कि प्रखण्ड में ऐसे सौ अधिक लाभुक हैं,जिनका आवेदन ऑनलाइन किया हुआ है। परन्तु विभागीय नियम के पेंच में अनुदान की राशि अधर में लटकी पड़ी है। अब ऐसे लाभुकों की निगाहें जिओ टैगिंग टिकी है कि कब तक उन्हें राशि उपलब्ध हो पाती है।

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