Home आधी आबादी शमीमा के लिए न किसी की सहानुभूति है न ही मानवता !

शमीमा के लिए न किसी की सहानुभूति है न ही मानवता !

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“पड़ोसी जिला सरायकेला में आरोपी चोर की पिटाई पर मौत के मामले में जमशेदपुर के नेताओं ने खूब मानवता का ढिंढोरा पीटा। लेकिन अपने जिले में किस्मत की मारी शमीमा के लिए उनके पास न तो सहानुभूति है न ही मानवता …”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (वीरेन्द्र मंडल)। जमशेदपुर के मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड का रहने वाली शमीमा खातून एमजीएम अस्पताल के महिला वार्ड के बेड संख्या 37 पर पिछले एक महीना से इलाजरत है। महिला के पैर की हड्डी टूट चुकी है और अबतक बेहतर ईलाज के अभाव में अस्पताल में ही पड़ी हुई है।

वैसे महिला के दुःख भरी कहानी यही नहीं है।  3 साल की उम्र में माता- पिता का साया उठ गया।  महिला को पड़ोसी ने सहारा दिया और उन्हीं ने पांच साल पहले शमीमा का निकाह करा दिया।2 9

शमीमा को लगा अब उसके जीवन की नैया पार लग जायेगी, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। शमीमा पति के घर महज़ एक माह ही सुख के साथ रही होगी। उसके हाथों का मेहंदी का रंग भी फीका नहीं पड़ा था कि पति तलाक देकर अलग हो गया।

शमीमा की जिंदगी फिर से ऊपरवाले के भरोसे थी। उधर एक महीना पहले बाथरूम में गिर जाने से शमीमा का बायां पैर टूट गया। पालने वाले बुजुर्ग दम्पत्ति ने एमजीएम अस्पताल में भर्ती करा दिया।

जहां इलाज नहीं होने से बिष्टुपुर स्टील सिटी अस्पताल में प्लेट लगवाया, लेकिन शमीमा के पैर का जख्म नहीं भरा और पुनः शमीमा एमजीएम अस्पताल में अपने जख्मों का ईलाज करा रही है।

आज शमीमा को देखनेवाला कोई नहीं। जहां शमीमा जिंदगी और मौत से जूझ रही है। पड़ोसी जिला सरायकेला में आरोपी चोर की पिटाई पर मौत के मामले में जमशेदपुर के नेताओं ने खूब मानवता का ढिंढोरा पीटा।

मृतक आरोपी चोर की बेवा के लिए खूब सहानुभूति जताया।  लेकिन अपने जिले में किस्मत की मारी शमीमा के लिए उनके पास न तो सहानुभूति है न ही मानवता।

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