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विशेष न्यायधीश मानवेन्द्र मिश्र का आदेश- मॉब लींचिंग के खिलाफ जागरुकता फैलाए दोषी किशोर

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वेशक बाल अपराध एक सामाजिक समस्या है और इसके अनेक कारक हमारे समाज में मौजूद हैं। जैसा खेत होगा, वैसी ही फसल होगी। एक बीज को वृक्ष बनाने के लिए संरक्षण के साथ धैर्य की भी आवश्यकता है। उसी प्रकार एक शिशु को अच्छे नागरिक बनाने के लिए एक अच्छा समाज का निर्माण बहुत आवश्यक है। खासकर किशोरावस्था में व्यक्तित्व के निर्माण तथा व्यवहार का निर्धारण में तात्कालिक वातावरण की अहम भूमिका होती है। जाहिर है कि एक प्रगतिशील लोक कल्याणकारी जनतंत्र में किशोर के मामले में अपराध के साथ उसके कारणों के मद्देनजर बिहारशरीफ किशोर न्याय परिषद का यह फैसला एक मिसाल कही जाएगी………..”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने एक युवती के अपहरण व उसके साथ दुष्कर्म के आरोपी किशोर को दो माह तक जिले में बढ़ते मॉब लींचिंग के खिलाफ जागरुकता फैलाने की सजा दी है।

saty mev jayteलोक अभियोजन पदाधिकारी राजेश पाठक के अनुसार जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने जेजेबी वाद संख्या-562/18, दीपनगर थाना कांड संख्या-333/18 की अंतिम सुनवाई के बाद आरोपी किशोर को दो माह तक सामाजिक कार्य लेने के आदेश दिया है। सामाजिक कार्य का आशय मॉब लींचिंग यानि भीड़ की हिंसा के खिलाफ जनता को जागरुग करना लक्षित किया गया है।

श्री मिश्र ने दीपनगर थानाध्यक्ष को दिए आदेश में लिखा है कि कांड में आरोपी किशोर की संलिप्तता पाई गई है। अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्यों से प्रतीत होता है कि दोषी किशोर वर्तमान में लगभग 17 साल का युवा है और इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहा है। इसे पर्यवेक्षण गृह में आवासित करने से इसका अध्ययन प्रभावित हो सकता है।

अतः जांच पश्चात किशोर न्याय परिषद दोषी किशोर से मॉब लींचिंग पर जन जागरुकता अभियान को प्रसारित करने जैसे सामाजिक कार्य करने का आदेश आपके नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के अधीन दिया गया है।

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से मॉब लींचिंग की घटनाएं जिले में बढ़ती जा रही है। हाल के दिनों में तो शासन-प्रशासन और समाज के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है। कभी धर्म के नाम पर तो कभी चोरी का आरोप लगाकर भीड़ कानून को अपने हाथ में ले लेती है। भीड़ कभी भी आरोप की सत्यता जांचने की कोशिश नहीं करती है। वह अपने आपको एक छद्म अदालत मान लेती है तथा आरोपी व्यक्ति को अत्यंत कष्टकारी यातनापूर्ण तरीके से अंग-भंग कर उसे विकृत कर डालती है। अधिकांश मामलों में आरोपित व्यक्ति की मौत हो जाती है।

लोक अभियोजन पदाधिकारी राजेश पाठक के अनुसार बाल किशोर न्याय परिषद के इस तरह के फैसले का मुख्य उदेश्य किशोर में मानवीय गुणों का विकास और राष्ट्र एवं समाज के प्रति उसकी जिम्मेवारी का बोध कराना है। जिससे उसमें बचपन में आए सामाजिक अपराध मनोवृति दूर हो सके। भविष्य में वह एक अच्छा नागरिक बनकर अपने कर्तव्यों का सम्यक रुप से निर्वहण कर सके।

दो माह तक मॉब लींचिंग को लेकर यूं जागरुकता फैलाएगा दोषी किशोर……..

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