रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इन दिनों झारखंड के सीएम रघुबर दास खुद अपनी किरकिरी करा रहे हैं। विगत दिनों उनका ब्राह्मणों के बारे में अनाप-शनाप बोलने का मामला ठंढा भी नहीं हुआ था कि झारखंड विधानसभा में विपक्ष को सीधे गाली दे दी। सीएम की भौंचक कर देने वाली इस अशोभनीय हरकत के बाद समूचे राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया है। समूचा विपक्ष इस मामले पर आक्रामक रुख अख्तियार किया है। सत्ता पक्ष के लोग भी सीएम की ऐसी हरकतों से सन्न हैं।
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ‘साला’ जैसे अपशब्द का प्रयोग किया। झारखंड में पहली बार सदन के भीतर मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष के ही स्पीकर डॉ. दिनेश उरांव के बीच भी तीखी बहस हुई। दोनों एक-दूसरे को समझाते रहे कि सदन की कार्यवाही कैसे चलती है। सदन में गैर सरकारी संकल्प पर चर्चा चल रही थी।
दरअसल, भाजपा विधायक अनंत ओझा अपने संकल्प के माध्यम से साहेबगंज के उधवा में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की रोकथाम के लिए अर्द्धसैनिक बल की एक कंपनी रखने की मांग कर रहे थे।
कांग्रेस के इरफान अंसारी ने टोका-टोकी शुरू कर दी। ओझा उखड़ गए। कहा-17,054 बांग्लादेशी चिह्नित किए गए। हमारी आबादी वहां बंधक बनी हुई है। तभी कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम उठ खड़े हुए। कहा-चतुर्थ विधानसभा के हर सत्र में अनंत ओझा बांग्लादेशी-बांग्लादेशी की बात करते हैं। कौन है बांग्लादेशी?
ओझा ने कहा कि बांग्लादेशी को कौन संरक्षण दे रहा है? स्पीकर दोनों को समझाने लगे कि गैर सरकारी संकल्प पर चर्चा के दौरान नोक-झोंक करें।
इसी बीच अचानक मुख्यमंत्री उठे। उन्होंने कहा कि अनंत ओझा को अपनी बात रखने का हक है। इसमें किसी को इंटरफेयर करने की जरूरत नहीं है। उस क्षेत्र में राष्ट्रविरोधी शक्तियां सक्रिय है। पूरे देश में घुसपैठ हो रहा है। ओझा अपनी बात रख रहे हैं तो इसमें गलत क्या है।
इस पर स्पीकर ने कहा कि हर कोई नियम-कानून की बात करता है। मुझे भी नियम-कानून की जानकारी है। आसन अपने अधिकार को जानता है, लेकिन कभी उसका प्रयोग नहीं किया। समझने की जरूरत है कि आसन मजबूर नहीं है।
सीएम ने भी कह दिया कि ऐसा नहीं है। फिर स्पीकर बोले-जिस तरह सदन चल रहा है, उस पर पूरा देश हंस रहा है। सदन में कोई विधायक कुछ भी बोल दे, कुछ भी करे और कहे कि आसन समझेगा, ऐसा नहीं चलेगा। सदन की गरिमा बनाए रखने की जिम्मेदारी सबकी है। इस पर सीएम ने स्पीकर की ओर इशारा करते हुए कहा कि देखिए, सत्ता पक्ष शांत है।
इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष लगातार स्थानीयता और नौकरी पर सवाल उठा रहा था। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 14 सालों में स्थानीयता तय नहीं हुई। जो नियुक्तियां हुई हैं, उनमें 95 फीसदी स्थानीय लोगों की हुई है।
विपक्ष इस पर हंगामा करने लगा। तभी मुख्यमंत्री ने कहा दिया-अब स्थानीय को नौकरी मिल रही है। सा…(अपशब्द) को झंडा ढोने वाला नहीं मिल रहा है तो मिर्चा लग रहा है। इस पर फिर जमकर बवाल हुआ।