“ऐसा नहीं कि बिहार के सिर्फ एक या दो गांवों में ऐसी दशा-दुर्दशा है। बिहार में अभी भी सैकड़ो ऐसे गांव हैं, जो ओडीएफ घोषित गावों के सरकारी कागजी दावों को झूठा साबित कर रहे हैं।”
जहानाबाद (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज/ ब्रजेश कुमार)। आप सबों को याद होगा बीते 10 अप्रैल का वह दिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह के सौ साल पूरे होने पर आयोजित एक भव्य समारोह में शामिल होने के लिए बिहार के मोतिहारी आए थे।
तब प्रधानमंत्री ने इस सत्याग्रह समारोह को स्वच्छाग्रह का नाम देकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस दावे के बाद उनकी पीठ थपथपाई थी कि ‘खुले में शौच मुक्ती’ की ओर बढता बिहार में अबतक बिहार में साढे आठ लाख शौचालय का निर्माण कराया गया।
सनद रहे कि प्रधानमंत्री ने गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ योजना की शुरुआत की थी जिस योजना के तहत वर्ष 2019 तक पूरे देश को ‘खुले में शौच मुक्त’ कर देने का दावा किया गया था।
लेकिन प्रधानमंत्री के हाथों अपनी पीठ थपथपाने वाले सीएम नीतीश कुमार के राज्य बिहार की क्या स्थिति है वह इन दो तस्वीरों से जाहिर है।
पहली तस्वीर अरवल जिला के कूर्था की है, जहां संचालित एक आवासीय नीजी विद्यालय में पढने वाले दर्जनों छात्र प्रतिदिन सुबह और शाम लोटा लेकर खुले में शौच जाने हेतु बाध्य है। इन पर न तो किसी सरकारी तंत्र की नजर पड़ रही है, न ही पंचायत और इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की।
दूसरी तस्वीर, जहानाबाद जिले के मोदनगंज प्रखंड अंतर्गत बंधुगंज गांव से होकर गुजरन वाली फल्गु नदी तट पर स्थित तटबंध की है, जिस तटबंध पर प्रति दिन दर्जनों की संख्या में आसपास के ग्रामीण खुले में शौच करते आ रहे हैं।
जिसे बीते चैती छठ के दिन खुद मोदनगंज प्रखंड के बीडीओ ने अपनी आंखों से देखा था, पर वह यह कहकर कन्नी काट गए कि ‘जब तक जनचेतना जागृत नहीं होगा, तब तक सरकार क्या कर सकती है।’