“लाल इलाके में की जा रही मौत की खेती पर चला ट्रैक्टर, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियो ने किया नष्ट, अफीम की फसल से नक्सली खरीदते है हथियार, बाराचट्टी में 20 एकड़ में लगी अफीम की फसल को किया नष्ट, गया पुलिस, एसएसबी, सीआरपीएफ और नारकोटिक्स कंट्रोल बयूरो ने चलाया जॉइंट ऑपेरशन।”
गया (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इन खेतो में लहलहा रहे फूलों को देख कर हर किसी का मन मोह जाएगा लेकिन जब इस फूलों की हकीकत जानेंगे तो आपके भी रूह कांप उठेंगे। यह वहीं फूल है जिसमे मादक पदार्थ अफीम है और देश को आंतरिक रूप से खोखला करने में लगी है। जिसके सीधे निशाने पर युवा पीढ़ी होते हैं।
इस इलाके में हर वर्ष सैकड़ो एकड़ जमीन पर पुलिस नष्ट करती है अफीम की फसल, बिहार, यूपी, नेपाल, पश्चिम बंगाल, पंजाब सहित कई राज्यो में जाती है यह नशे की बड़ी खेप।
इन इलाकों के घने जंगलों और पहाड़ो की तलहटी वाले क्षेत्रों में नक्सलियो के द्वारा अफीम की खेती किये जाने के सूचना के बाद ऑपेरशन चलाया गया।
नक्सलियों के द्वारा गांव के ग्रामीणों से यह मौत की खेती कराई जाती है।
बजाप्ते इसकी रोपाई, देखभाल और अफीम के फल लगने से तैयार होने यहां तक कि इसे लिक्विड रूप में परिवर्तित करने तक कि पूरी जिम्मेवारी ग्रामीणों की होती है।
इससे आयी आमदनी नक्सलियो को और ग्रामीणों को आमदनी का एक अंश मिलता है। इसी पैसे से नक्सली हथियार खरीदते है और पुलिस बल को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाते है। क्योंकि अफीम की फसल बहुत कम समय मे ज्यादा मुनाफा देती है।
इसलिए नक्सली संगठनों के द्वारा इन इलाकों में अफीम की खेती कराई जा रही है। अभी भी इन क्षेत्रों में कई ऐसे इलाके होंगे,जहां अफीम की फसल लहलहा रहे होंगे और पुलिस की इसकी सूचना भी नहीं होगी।
नारकोटिक्स कंट्रोल बयूरो के अधिकारी ने बताया की अफीम की खेती की सूचना के तुरन्त बाद विभिन्न पुलिस बलों के द्वारा इन क्षेत्रों में लगे अफीम के फसल को नष्ट किया जाता है तथा अफीम के कच्चे फल (डोडा) को एक जगह से दूसरे जगहों तक पहुंचाने वालो पर खास नजर होती है।