“यह वीडियो कब की है, इसका पता तो नहीं चल पाया है, लेकिन जब भी का हो, अगर वर्दी में ऐसे तलवा चाटने वाले पुलिस अफसर कहीं भी चुनावी कार्य में लगे हों, उनसे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती…..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में नीतीश कुमार के खासमखास सहयोगी मंत्री एवं मुंगेर जदयू प्रत्याशी ललन सिंह के एक वायरल वीडियो ने सनसनी मचा रखी है।
ऐसे में एक पुलिस अफसर द्वारा ललन सिंह का पैर छूने वाला वीडियो वायरल होना चुनावी माहौल में गर्मी पैदा करना स्वभाविक है। विपक्ष लगातार इस वीडियो को लेकर सुशासन की पुलिस पर तंज कस रहा है।
सुशासन की सरकार कहती है कि बिहार में क़ानून का राज है और कानून कहता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं।
लेकिन उनका कानून अपने लंबे हाथों से ना सिर्फ आरोपियों के पैरों में कील ठोकती है, बल्कि चुनाव लड़ रहे सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री के बेहद खास ललन सिंह के पैर पर गिरकर सलाम भी ठोकती है। हाल ही में इसी पुलिस ने सीतामढ़ी में हिरासत में दो आरोपियों के पैरों के कील ठोककर मार डाला था।
इनकी वर्दी पर सितारे चमक रहे हैं। जाहिर है पुलिस महकमे में इनका ओहदा भी ऊंचा है। मंत्री जी के पैर छूकर इनका चेहरा भी चमकने लगता है।
फूल माला से लकदक सजे हुए रथ पर सवार महारथी मंत्री जी जैसे ही पहुंचते हैं वर्दी वाले साहब लपककर, भीड़ को चीरते हुए मंत्री जी के पास पहुंचते हैं। पैर छुते हैं और कुछ गुफ्तगू होती है।
फिर रथ आगे बढ़ने से पहले वर्दी ना सिर्फ सैल्यूट करती है, बल्कि फिर एक बार मंत्री जी की विदाई में पैरों में लोट जाती हैं। ये ना सिर्फ चुनाव आयोग के निर्देशों के खिलाफ है बल्कि अनैतिक भी है।
ललन सिंह मुंगेर से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। देश मे आदर्श आचार संहिता लागू है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी जिनके हाथों में है, वो तो नेताजी के चरणों मे लोट रहे हैं। अब इनसे कैसे उम्मीद की जा सकती है निष्पक्ष चुनाव की।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस वीडियो पर तंज कसते हुए ट्वीट किया है कि ‘लानत है, ऐसे मुख्यमंत्री सह गृहमंत्री और उनके पुलिस एवं पुलिस अधिकारी पर, जो आचार संहिता में भी बिहार सरकार के मंत्री और लोकसभा प्रत्याशी के पैर छू रहा है। चुनाव आयोग उसे तत्काल बर्खास्त करे।’
तेजस्वी यादव की यह मांग है कि फेयर इलेक्शन करवाने को लेकर ऐसे पुलिसकर्मियों पर चुनाव आयोग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए