बिहार के सीएम नीतीश कुमार के जिले नालंदा में सुशासन की पोल कब की खुल चुकी है। कोई यहां ऐसी बात करता है तो वह आम जनता को गुमराह करने के लिये सिर्फ बकबास करता है। कहीं कोई सुशासन नहीं है। नीतीश जी को उनके सूचक मुगालते में रख रहे हैं। इसका यकीन उन्हें आगामी चुनावों में निश्चित रुप से हो जायेगा।
राजगीर थाना में नशे में धुत जमादार जबाहर प्रसाद यादव ने पत्रकार की उल्टे पिटाई कर हाजत में बंद कर दिया और वहां के थानाध्यक्ष और एसपी की मिलीभगत से उल्टे मनगंढ़त केस करवा दिया गया। लेकिन शायद वे भूल गये कि सूचना प्रौधोगिकी के इस युग में आम आदमी भी दूध का दूध और पानी का पानी करने की क्षमता रखता है।
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क की टीम हवाई बातें नहीं करती। बिना प्रमाण किसी पर कोई समाचार नहीं बनाती। जिसे आंकना हो, कभी भी तत्थों को आजमा सकता है।
हम ऐसा लिखने को इसलिये वाध्य हैं कि आश्वस्त सूत्रों के अनुसार नालंदा एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने एक प्रेस कांफ्रेस में अपने चहेते मीडियाकर्मियों से खुल कर कहा कि एक्सपर्ट मीडिया वालों को नालंदा से भगाओ। इस पर एक मीडियाकर्मी ने यहां तक कह डाला कि आज एक्सपर्ट मीडिया को भगाने कहते हैं, कल हमें भी भगाने को कह सकते हैं।
नालंदा एसपी से एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क के प्रधान संपादक से भी बात हुई। बातचीत के दौरान एसपी ने साफ तौर पर कहा कि आप नालंदा की खबरें क्यों छापते हो। एसपी के इस सवाल का जबाव आप सुधी पाठक ही बेहतर बता सकते हैं।
हम नालंदा क्या पूरे देश की खबरे छापते हैं। एसपी जिस दक्षिण भारत के मूल निवासी हैं, जहां बिहारी कह हमारे सम्मान को कुचला जाता है, वहां की भी खबरें छापते हैं।
यहां पर स्पष्ट कर दें कि खासकर नालंदा हमारे संस्कार का बजूद है, कोई लोकसेवक में इतना दम नहीं कि वे उससे अलग करने की हिमाकत करे। एक एसपी की भी जबावदेही सिर्फ हमारी सुरक्षा-सेवा की गारंटी तक सीमित है। इससे इतर उनकी जमींदार बनने के प्रयास की मानसिकता उनके भारतीय संविधान की सपथ पर सीधी उंगली उठाती है।
बहरहाल, उत्पीड़न के शिकार पत्रकार पर शराब के नशे में धुत जमादार ने पहले अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पिटाई की और बाद में भद्दी-भद्दी गांलियां देते हुये हाजत में बंद कर दिया, उसे लेकर हमारे पास गुगल कैमरा लोकेशन के स्नैपशॉट प्राप्त हुये हैं। जो पुलिस के सारे साजिश-खेल को यूं ही बेनकाब कर जाती है।
यह गुगल रिपोर्ट उस समय के बाद तक का है, जब राजगीर थानाध्यक्ष एक शराबी जमादार की जांच कराने के बजाय उल्टे काउंटर केस करवाता है और एसपी उसे संवैधानिक अधिकार की संज्ञा देते हैं। हालांकि ऐसा बोलने के पहले वे भूल जाते हैं कि अधिकार की बात उन्हीं लोगों को शोभा देती है, जिन्हें पहले कर्तव्य और दायित्व का बोध होता है।
देखिये आयना कि पत्रकार के गुगल कैमरा लोकेशन क्या बताता है। अगर ऐसे में 2 घंटे बाद उल्टे केस होता है तो यह सीएम नीतीश के नालंदा के लिये एक बड़ा कलंक है। खास कर उस परिस्थिति में जब एसपी स्तर की जानकारी के बाबजूद एक शराब के नशे में धुत एक वर्दीधारी जमादार की मेडिकल जांच तक नहीं करवाई जाती है और उसे बचाने में पुरा पुलिस महकमा जुट जाता है…..
….. (आगे जारी)