“एक तरफ जहां विकास के कथित पुरोधा बनकर उभरे बिहार के सीएम नीतिश कुमार बिटिया पढ़ाओं-आगे बढ़ाओ के ढिंढोरे पीटते हैं। स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत प्रोत्साहन राशि देने के जुमले फेंकते है। लेकिन जब बिटिया पढ़ेगी ही नहीं तो आगे कैसे बढ़ेगी और उनके लिये प्रोत्साहन राशि के क्या मायने रह जाती है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन-धार्मिक नगरी राजगीर अनुंडल क्षेत्र में अदद एक स्नातक कॉलेज का न होना एक बड़ा सवाल करती है। यहां के प्रायः छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से बंचित रह जा पा रहे हैं। उन्हें विवश होकर बाहर के दूसरे शहरों में जाना होता है या फिर वे अपनी पढ़ाई-लिखाई बंद करनी पड़ती है।
बालिकाओं के लिये तो आगे की पढ़ाई करना बड़ा कठिन है। साधारण परिवार से जुड़े का निकटतम जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के कॉलेजों में रोज आना-जाना आर्थिक-आवागमन के तौर पर असंभव है।
यहां अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय, सीआरपीएफ प्रशिक्षण केन्द्र, पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र जैसे अनेक उच्च संस्थान खुल गये, लेकिन किसी ने भी राजगीर में एक स्नातक कॉलेज की शुरुआत की जरुरत ही नहीं समझी। यहां के लोकप्रिय समाजसेवी सुरेन्द्र कुमार तरुन शिक्षा मंत्री बने।
डॉ. एनएन आर्या सरीखे दो दशक तक विधायक रहे। वर्तमान विधायक ऐसे नमुना हैं कि सोशल साईट पर कॉलेज का उद्घाटन की तिथि भी घोषित करने का लुत्फ उठाने से भी नहीं हिचकते।
इतर यहां समाजसेवियों, वुद्धिजीवियों की उभरी बड़ी-बड़ी पौध की अपनी अलग ही दुनिया है। लेकिन, खुद नीतिश कुमार इसी जिले के बतौर रहवासी पिछले 15 सालों से सीएम की कुर्सी पर विराजमान हैं और इस मामले मे अब तक नतीजा है सिफर? एक बड़ा सवाल है।
बकौल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े अनुपम कुमार श्रत्रिय, ‘यब विडम्बना ही है कि यहां अंकर्राष्टीय स्तर के विश्वविद्यालय खोल दिये गये, लेकिन सरकारें एक डिग्री कॉलेज उपलब्ध नहीं करा सकी।’
इस समस्या को लेकर परिषद ने एक सघन हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस आंदोलन के बाद वर्ष 2015 में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने आयुद्ध निर्माणी रोड में करीब 21 हजार वर्ग फुट भू-क्षेत्र पर 5.13 करोड़ की प्राक्कलित राशि से प्रसातावित कॉलेज भवन का शिलान्यास रखी।
मंत्री ने तब बताया था कि बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना लिकास निगम के तहत इस क़ॉलेज भवन का निर्माण कराया जायेगा। यह 3 मंजिले भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी।
इस प्रस्तावित कॉलेज को वर्ष 2017 में चालू हो जानी थी। लेकिन भवन निर्माण कार्य में शिथिलता के कारण अभी तक निर्माणाधीन मोड में ही है। हालांकि भवन लगभग तैयार है। अब अधिक कार्य शेष नहीं दिखते। फिर भी यह किसकी बाट जोह रहा है, कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है।
विधान परिषद सदस्य रीना यादव ने इस मामले को सदन में भी उठाया। राविस के 188 वें सत्र के तारांकित प्रश्न-47 के जरिये श्रीमति यादव ने जो सवाल उठाये, उसकागोल मटोल जबाव देते हुये वर्तमान शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने प्रस्तावित कॉलेज भवन का कार्य अप्रैल, 2018 तक पूर्ण होने की संभावना बताई थी।
विधान पार्षद का प्रश्न संख्या- 47 के खंड-क में विभागीय मंत्री से सवाल था कि नालंदा जिला अंतर्गत राजगीर नगर पंचायत के वार्ड-2 पंडितपुर में निर्माणाधीन स्नातक क़लेग का उद्घाटन 26 अगस्त,2015 को माननीय मंत्री के द्वारी किया गया है?
इस पर विभागीय मंत्री का जबाव था कि वस्तुतः उक्त स्थान पर संबंधित मंत्री द्वारा 23 अगस्त,2015 को निर्माणाधीन स्नातक कॉलेज का शिलान्यास किया गया है।
विधान पार्षद का प्रश्न संख्या- 47 के खंड-ख में विभागीय मंत्री से सवाल था कि वर्णित कॉलेज के निर्माण में काफी शिथिलता बरती गई, जिसके फलस्वरुप निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं किया गया है एवं वर्तमान में काफी कार्य शेष बचा हुआ है, जिससे लोगों में रोष व्याप्त है।
इस पर विभागीय मंत्री का जबाव था कि प्रश्नाधीन क़लेज के निर्माणाधीन हेतु उपलब्ध कराया गया भूखंड गंगा सागर पोखर के नाम था, जो आस-पास की भूमि से 5 फीट गहरी थी।
साथ ही मुख्य पथ से निर्माण स्थल तक पहुंच पथ भी उपलब्ध नहीं है। बरसात के दिनों में एवं खेतों में फसल लगे रहने पर निर्माण सामग्री स्थल पर ले जाना संभव नहीं हो पाता है।
वर्तमान में भवन की संरचना का कार्य पूर्ण है। प्लास्टर एवं फ्लोरिंग का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। भवन का फिनसिंग का कार्य अप्रैल,2018 तक पूर्ण होने की संभावना है।
बहरहाल, राजगीर में प्रस्तावित स्नातक कॉलेज भवन का निर्माण कार्य व्यवस्था के जिन तकनीकी खामियों में उलझा है, उसे देख कर नहीं लगता कि इस वर्ष भी यह चालू हो पायेगा। जनप्रतिनिधियों के रवैये से लगता है कि यह संभवतः अगले साल भी पुराने सवाल यथावत रहेगें?