Home आधी आबादी महिला उत्पीड़न के 1.13 लाख मामले लंबित, हाई कोर्ट गंभीर

महिला उत्पीड़न के 1.13 लाख मामले लंबित, हाई कोर्ट गंभीर

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“महिलाओं से संबंधित लंबित मामलों में 50 फीसदी दहेज प्रताड़ना को लेकर हैं। दहेज के बाद दुष्कर्म और यौन शोषण के मामले हैं….”

रांची दर्पण। महिला अत्याचार के एक लाख से अधिक मामले राज्य की अदालतों में लंबित हैं। इन मामलों का तेजी से निष्पादन नहीं होने को झारखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है।ghrelu hinsa 1

कोर्ट ने राज्य की सभी निचली अदालतों से इस पर रिपोर्ट मांगी है। सभी अदालतों को अपने यहां महिलाओं से संबंधित लंबित मामलों की संख्या, तीन साल में निष्पादित मामलों की संख्या बताने को कहा है।

लंबित मामले किस स्थिति में हैं, इसका भी ब्योरा देने के लिए कहा है। राज्य में महिला अत्याचार से संबंधित मामलों के तेजी से निष्पादन के लिए विशेष अदालत भी बनी है, लेकिन पुराने मामले अभी भी लंबित हैं।

राज्य की अदालतों में महिलाओं से जुड़े एक लाख 13 हजार 910 मामले लंबित हैं। राज्य में कुल लंबित मामलों की संख्या तीन लाख 67 हजार 744 है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है।

सभी प्रधान जिला जजों को इन मामलों का निष्पादन तेजी से करने के लिए कहा है। राज्य की महिलाएं दुष्कर्म, यौन शोषण, घरेलू हिंसा और डायन-बिसाही के नाम पर मारी जा रही हैं।

विधि विशेषज्ञों का मानना है कि दहेज प्रताड़ना कानून का दुरुपयोग भी किया जा रहा है।

कई मामलों में ऐसे देखा गया है कि आपसी विवाद में दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए अदालतों में केस किया जा रहा है।ऐसे मामलों में घर के बुजुर्ग और बच्चों को भी प्रतिवादी बनाया जा रहा है।

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