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    Sunday, November 24, 2024
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      मनु महाराज जी, खुशरुपुर थाना पुलिस को इस दीवाली में वेतनादि नहीं मिला!

      “पुलिस अफसर ने कहा पांच हजार दो, तब छुटेगी मोटरसायकिल। कोर्ट के रिलीज आर्डर के बावजूद नहीं मुक्त कर रही पुलिस गाड़ी, मामला पटना के खुशरुपुर थाना का।”

      vinayak vijeta
      वरिष्ठ पत्रकार विनायक विजेता अपने फेसबुक वाल पर….

      कल मेरे एक परिचित ने मुझे फोन किया और मुझे बताया कि पटना के खशरुपुर थाना ने यहीं के निवासी एक छात्र चंदन कुमार, पिता महेन्द्र सिंह की मोटरसायकिल को एससीएसटी के किसी मामले पकड़ उसकी मोटरसायकिल थाने में जब्त कर ली।

      patna police 2 patna police1जिस संदर्भ में खुशरुपुर थाना में कांड संख्या- 175/17 अंकित किया गया। पीड़ित के आवेदन पर पटना व्यवहार न्यायालय के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने पहले अपने पत्रांक-978 दिनांक 9 अक्टूबर 2017 को ही खुशरुपुर के थानाध्यक्ष को जब्त गाड़ी को छोड़ने का दिया।

      इसके बाद लड़के के पिता द्वारा बार-बार थाना का चक्कर लगाने के बावजूद गाड़ी नहीं छोड़ी जा रही। विशेष न्यायाधीश की अदालत ने पुनः 17 अक्टूबर को खुशरुपुर थानाध्यक्ष को शोकाज भेजा। लेकिन इसका थाना पर कोई असर नहीं हुआ।

      मेरे मित्र ने सारे कागजात मुझे मेल पर भी भेजे। मामला सही पाकर कल यानी बुधवार को मैंने अपने मोबाइल नंबर 9431297057 से खुशरुपुर थानाध्यक्ष को उनके सरकारी नंबर पर फोन कर अपना परिचय देते हुए उनसे कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बात की।

      मेरा परिचय जानते ही उन्होंने मुझे कहा कि आप आदेश दें क्या करना है। तब मैंने उनसे कहा कि मैं आदेश देने वाला कौन होता हूं मैं आग्रह कर रहा हूं कि जब कोर्ट का आदेश है और आपके आइओ ने भी कोर्ट में यह लिखकर दिया है की गाड़ी के सारे कागजात वैद्य हैं तो आपसे आग्रह है की ‘फ्रेंडली पुलिस’ का धर्म निभाते हुए गाड़ी मुक्त करने की कृपा करें।

      लड़के के पिता महेन्द्र सिंह द्वारा कल से अबतक थाने का कई चक्कर लगाने के बावजूद मोटरसायकिल नहीं छोड़ी जा रही।

      हमारे मित्र ने बताया कि थाना में पांच हजार रुपये दिपावली के खर्च के रुप में मांगे जा रहे हैं। तब गाड़ी छोड़ने की बात कही जा रही है, जो वह व्यक्ति देने में सक्षम नहीं है।

      एक तरफ पटना के जोनल आईजी, डीआईजी और एसएसपी से लेकर उनके मातहत अधिकारियों के काम, उनकी इमानदारी और कर्मठता की लगातार प्रशंसा हो रही है। वहीं कुछ कनीय पुलिस पदाधिकारियों के ऐसे रुप और स्वरुप से पुलिस विभाग की बदनामी हो रही है।

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