अन्य
    Friday, November 1, 2024
    अन्य

      भगोड़ा विजय माल्या को भारत लाना दूर की कौड़ी, लंदन में गिरफ्तारी के 3 घंटे बाद ही रिहा

      विजय माल्या को भारत सरकार की अर्जी के आधार पर लंदन में गिरफ्तार किया गया और उसे महज 3 घंटे बाद जमानत भी मिल गई। ब्रिटिश कानूनों को देखते हुए ऐसा लगता है कि माल्या को भारत लाना अभी दूर की कौड़ी है। भारत ने ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप आठ फरवरी को एक नोट वर्बेल के जरिए माल्या के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक आग्रह किया था।

      mallya vijayvijay mallyaजानकारों के मुताबिक प्रत्यपर्ण के लिए देश में तीन तरह के रास्ते हैं और वो इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसिजर कोड और एंविडस एक्ट के तहत हैं। लेकिन सरकार अगर जोर लगाएगी तभी प्रत्यर्पण में सफलता मिलेगी। भारत सरकार के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत का भी रास्ता खुला है।

      भारत सरकार ने ब्रिटेन को अर्जी सौंपते हुए कहा था कि माल्या के खिलाफ उसके पास एक जायज मामला है। सरकार ने उल्लेख किया था कि यदि प्रत्यर्पण आग्रह का सम्मान किया जाता है तो यह हमारी चिंताओं के प्रति ब्रिटेन की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करेगा। इस साल के शुरू में एक सीबीआई अदालत ने 720 करोड़ रुपये के आईडीबीआई बैंक लोन डिफॉल्ट मामले में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

      पिछले महीने ब्रिटिश सरकार ने माल्या के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के संबंध में भारत के आग्रह को प्रमाणित कर इसे आगे की कार्रवाई के लिए एक जिला न्यायाधीश के पास भेज दिया था। ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में न्यायाधीश द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने सहित कई कदम शामिल होते हैं। वारंट के मामले में व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और प्रारंभिक सुनवाई के लिए अदालत लाया जाता है। फिर विदेश मंत्री द्वारा अंतिम फैसला किए जाने से पहले एक प्रत्यर्पण सुनवाई होती है।

      ब्रिटेन की जटिल कानूनी प्रणाली है। सबसे पहले जज को इस बात से संतुष्‍ट होना होगा कि माल्‍या पर भारत में जो आरोप लगाए गए हैं वह ब्रिटेन में भी आपराधिक श्रेणी में आते हैं या नहीं। लंदन कोर्ट के जज यह भी तय करेंगे कि क्‍या माल्‍या का प्रत्‍यर्पण उनके मानवाध‍िकारों के अनुरूप या असंगत तो नहीं है। यदि जज संतुष्‍ट हो जाते हैं तो इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए विदेश मंत्रालय के पास भेजा जाएगा। माल्‍या के पास फैसले को हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी अधिकार है।

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!