बुनियादि सुविधाओं से महरुम सरिया में बैंकों की लच्चर व्यवस्था से लोग त्रस्त

    सरिया(आसिफ अंसारी)। आज़ादी की लड़ाई का केंद्र रहा सरिया बाज़ार आज कई मुलभुत सुविधाओं से वंचित है। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आवास रहने के कारण महात्मा गांधी, विनोवा भावे, जय प्रकाश नारायण जैसे कई दिग्गज आज़ादी के दीवाने अंग्रेजों के विरुद्ध जंग की रचना की मंत्रणा करते थे। साथ ही पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, राजनारायण जैसे लोगों का यह प्रिय क्षेत्र रहा है।

    वहीँ अंग्रेजों का सराय रहने के कारण इस जगह का नाम सरिया पड़ा। अंग्रेजी काल से ही हज़ारीबाग़, कोडरमा, चतरा,गिरिडीह, बोकारो आदि जिले के लोगों की जुबान पर रहने वाला यह क्षेत्र अतीत की और झाँक रहा है। जिले का चर्चित व्यावसायिक मंडी सरिया होने के बावजूद यहां बिजली सड़क पानी अस्पताल आदि की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को काफी कठिनाइयां होती है।

    खासकर सरिया स्थित राष्ट्रीय बैंक यथा  SBI व BOI की हालत काफी चिंताजनक है। सुबह 9 बजे बैंक खुलते ही ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। सुबह से ही बुजुर्ग वृद्धा पेंशन लेने के लिए कतार में खड़े हो जाते है। उसके बावजूद शाम 3 बजे तक इन्हे पेंशन की राशि नहीं दी जाती है क्योंकि, पहले यहां के प्रमुख व्यवसायिऔर कुछ चहेते लोगों को बैंक के अंदर से ही भुगतान किया जाता है।

    राशि ख़त्म हो जाने के बाद कैश की व्यवस्था के लिए वाहन लेकर बैंक कर्मी निकल जाते है और फिर तक़रीबन 2 से 3 बजे तक कैश वाहन लेकर लौटते है। कैश आते ही घण्टो से भूखे प्यासे बैठे बुजुर्ग और महिलाएं रकम लेने के लिए अफरा तफरी करने लगते है।बैंक परिषर में न पेयजल की व्ययावस्था है और न ही बाथरूम की।

    यहां सभी बैंकों की स्थिति लचर है। एक ओर जहां कर्मचारी की कमी है वहीँ दूसरी ओर खाता धारकों की संख्या अधिक है।जिससे समय पर जरूरत मंद लोगों को लेनदेन में परेशानी होती है। बैंक परिसर छोटा होने व ग्राहकों की भीड़ के कारण अफरा तफरी का माहौल हो जाता है।

    स्थानीय लोगों द्वारा अतिरिक्त शाखा खोलने की मांग की गई परंतु अबतक इसपर अमल नहीं किया जा सका। अगर समय रहते सुधार नहीं किया जाता है तो पेंशनधारियों के साथ इस भीषण गर्मी में कुछ अनहोनी भी हो सकती है। लाखों की आबादी वाले इस प्रखंड क्षेत्र में कुल 23 पंचायत है। कई बुजुर्ग और महिलाए  सुदूरवर्ती क्षेत्रो से लंबी दूरी का सफर तय कर बैंक आते है अपनी राशि निकालने। पर यहां के बैंकों में उन्हें  घण्टो फजीहत उठानी पड़ती है।

    इसके अलावे ग्राहको को हमेशा लिंक फेल होने की समस्या से भी जूझना पड़ता है।बैंक परिसर के बाहर ग्राहकों को अपनी दो पहिया वाहन खड़ी करने में भी भारी परेसानी उठानी पड़ती है। संकीर्ण और भीड़ भाड़ वाले सड़क में ग्राहक मजबूरन अपनी मोटरसाइकिल सड़क के पास ही खड़ा करते है, जिससे सड़क पर जाम की समस्या हमेशा बनी रहती है। बैंक में ग्राहकों की भारी भीड़ से निपटने के लिए बैंक के प्रबंधक भी गंभीर दिखाई नहीं पड़ते। ग्राहको को एक खाता खोलने में महिनों चक्कर लगानी पड़ती है।

    खाताधारियों का कहना है की अपनी ही राशि निकालने के लिए बार बार बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है। इन परेशानियों से जूझ रहे ग्राहकों के जुबान से इस प्रखंड को अंधेर नगरी कहा जाने लगा है। इस मामले को जिला प्रशासन कितनी गम्भीरता से लेता है यह देखने वाली बात होगी। क्या इन समस्याओं से लोगों को निजात मिल पाएगा?

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