“बिहार के छात्र इन सब से घबराने और टूटने वाले नहीं है,ये हमेशा मेधावी थे और रहेंगे। नीतीश जी याद रखिएगा, यही छात्र कल बिहार की तस्वीर बदलेगें। जैसे कभी आपने बदली थी।”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। आखिर वही हुआ कोशिशों के बाद भी बिहार में इंटर रिजल्ट को लेकर फिर से हंगामा बरपा है। कारण वही बिहार बोर्ड परीक्षाओं में गिरती जा रही परीक्षा परिणाम। पिछले साल की तरह इस बार भी रिजल्ट में कथित गडबडियों को लेकर छात्रों का गुस्सा परवान पर है।
पटना सहित राज्य के कई जिलों में शनिवार को परीक्षार्थी और छात्र संगठनों ने सड़क पर उतरकर हंगामा किया तथा कई जगहों पर सडक जाम कर दिया था।परीक्षार्थी परीक्षा परिणाम और अंक पत्र की गड़बड़ियों में तत्काल सुधार की मांग कर रहे थे।
पटना में शनिवार को बीएसईबी कार्यालय और इंटर काउंसिल कार्यालय के बाहर सैकड़ों छात्रों ने हंगामा किया। इन छात्रों को जन अधिकार पार्टी के छात्र संगठन का भी समर्थन मिला।
आखिर जो परीक्षार्थी नीट और पॉलिटेकनिक की परीक्षा में सफल हो गए हैं, वह भी यहां 12 वीं में अनुत्तीर्ण हो गए हैं। कई छात्रों को गणित में पांच अंक और किसी छात्र को पूर्णांक से भी अधिक अंक कैसे मिले हैं।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने शिक्षा मंत्री और बोर्ड अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला जलाया। सोमवार को फिर से इंटर रिजल्ट को लेकर छात्र संगठनों ने बोर्ड कार्यालय के पास धरना प्रदर्शन आहूत किया है।
बोर्ड ने परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी होने वाले छात्रों से 10 से 16 जून तक आवेदन देने को कहा है। बोर्ड का कहना है कि जिन छात्रों के अंक पत्र में गड़बड़ी है वे 16 जून तक बोर्ड के वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जिन छात्रों को कम अंक आने की शिकायत है वे छात्र 9 जून से 16 जून तक स्क्रूटनी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
अब सवाल यही उठता है कि हर बार बिहार बोर्ड में इस तरह की गड़बड़ी के बाद कॉपियों की स्क्रूटनी की तारीख निकाल कर प्रति छात्रों से 70 रूपये कॉपी वसूल ली जाती है। जिसमें छात्रों की संख्या हजारों में नहीं लाखों में होती है। आखिर बिहार बोर्ड को इस तरह का आदेश जारी करने की जरूरत हर साल क्यों पड़ती है?
क्या बिहार के छात्रों में वह टैलेंट अब नही रहा कि हर साल चार से पांच लाख छात्र बोर्ड परीक्षाओं में फेल हो रहे हैं। क्या बिहारी छात्रों की मेधा पर सवाल उठता जा रहा है। बिहारी छात्र इस देश के गौरव रहे हैं। कोई कैसे मान लें कि आज का बिहारी छात्र पढ़ाई में फिसड्डी होते जा रहा है।
पिछले 13 साल में सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को एक अलग पहचान दी है। जहाँ टूटे फूटे खपरैल स्कूल होते थें वह अब आलीशान स्कूल में बदल गया है। हर पंचायत में एक हाईस्कूल उनकी देन हैं। हर गाँव में मध्य विधालय है।
सीएम ने छात्रों को पहनने के लिए पोशाक स्कूल जाने के लिए साइकिल और पढ़ने के लिए मुफ्त किताबें दी है। बावजूद आपके बिहार के लाखों छात्र फेल हो जाते हैं।
भले ही बिहार को अपराध मुक्त बनाया हो, गाँव -गाँव सड़क और बिजली पहुँचाई हो, स्वास्थ्य व्यवस्था सुधार दी हो, लेकिन यह एक अटल सच्चाई है नीतीश जी आपके शासनकाल में बिहार की शिक्षा गर्त में ही जा रही है।
बिहार के छात्रों के मेधा पर कोई संदेह नहीं कर सकता है। बिहार बोर्ड में छात्र फेल नहीं हुए हैं बल्कि सिस्टम फेल हुआ है। आपका सिस्टम उन बच्चों को उन बिषयों में शून्य दिया है जो 10-15 घंटे फार्मूले को लेकर उलझे रहते हैं। आपका सिस्टम उनकी मेधा को शून्य से आंकने की गलती की है।
आप भूल रहे होंगे नीतीश जी आप भी कभी छात्र थें ।आप भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पटना गए थे। जैसे आज दसवीं पास करने के बाद हजारों छात्र छोटे छोटे कस्बों और गाँव जेवार से इंटर की पढ़ाई करने के लिए पटना आते हैं।
इन बच्चों की पढ़ाई में इनके माता-पिता अपने अरमानों की तिलांजली दे देते हैं। बच्चों की पढ़ाई में कितने मांओ की जेवर और पिता के खेत बिक जाते हैं। एक पिता अपने बेटे के उज्ज्वल भविष्य को लेकर जेठ की तपती दुपहरी में अपना सबकुछ झोंक देता है।
उधर छात्र अपने सुनहरे भविष्य और माता पिता के भरोसे को बनाए रखने के लिए दूध पीने की जगह सतू और चना-चवेने खाकर घंटों मैथ के फार्मूले के साथ केमेस्ट्री -बॉयो की किताब में घुसा रहता है। और जब परीक्षा परिणाम आता है तो उसे फेल कर दिया जाता है।लाखों छात्रों का भविष्य आप अंधकारमय कर देते हैं।
लाखों छात्र को आप भले ही फेल बता दें, लेकिन फेल छात्र नहीं हुए हैं, फेल आप हुए हैं। फेल आपका सिस्टम हुआ है। फेल आपके शिक्षा मंत्री हुए हैं, जिन्हें खुद पता नहीं कि परीक्षा फार्म भरने के लिए कितने प्रतिशत उपस्थिति चाहिए।
आपके शिक्षा मंत्री कहते हैं पढ़ाई के लिए स्कूल जाना कोई जरूरी नहीं है। आप उस सिस्टम को भूल गए लालकेश्वर- परमेश्वर जैसा सड़ा तंत्र उत्पन्न होता है।जहाँ उनके संरक्षण में रूबी रॉय और गणेश जैसे लोग पैदा लेते हैं। फिर भी आप कहते हैं छात्र फेल हुए हैं।