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    Wednesday, November 27, 2024
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      बाल सरंक्षण आयोग अध्यक्ष आरती कुजूर की इस जांच से सब कुछ साफ हो गया

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ने सबसे पहले इस खबर को समाज के सामने लाया था, जिसमें बेहद ही गैर जिम्मेदाराना तरीके से जिले के एसपी ने बयान जारी करते हुए कहा था कि थाने में शादी नहीं हुई है, जबकि छात्रा और उसके ससुर बार- बार अधिकारियों के सामने चीख चीख कर कह रहे थे कि छात्रा के परिजनों के दबाव में राजनगर थाना परिसर में नाबालिक छात्रा ब्याही गई है और इसके एवज में थाने में रिश्वत का गंदा खेल भी हुआ है……..”

      झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाने में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की नौवीं कक्षा की नाबालिग छात्रा की शादी राजनगर थाना परिसर में ही हुई थी। एक्सपर्ट मीडिया की खबरों पर आज राज्य बाल संरक्षण आयोग ने मुहर लगा दी है।

      इसके साथ ही जिले के उपायुक्त, एसपी, राज्य महिला आयोग और तथाकथित दलाल मीडिया कर्मियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है।ARTI KUJUR RAJNAGAR POLICE CRIME

      लेकिन जिला पुलिस कप्तान इस बात को कतई मानने को तैयार नहीं हुए। महज खानापूर्ति करते हुए तत्कालीन राजनगर थाना प्रभारी को लाइन क्लोज कर दिया और एक अन्य पुलिस पदाधिकारी को निलंबित कर दिया।

      लेकिन सबसे हास्यास्पद तो ये कि इस पूरे मामले की पड़ताल किसी ने करना मुनासिब नहीं समझा। ना ही जिले के उपायुक्त ने पीड़ित छात्रा से मिलना जरूरी समझा, ना ही जिले के पुलिस कप्तान ने। सभी ने दलाल मीडिया कर्मियों की बातों पर भरोसा किया, और बचकाना बयान जारी करते रहे।

      हद तो तब हो गई, जब राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कल्याणी शरण, जो किसी भी तरह से इस मामले में सक्षम विभाग नहीं है, उनकी अध्यक्षा ने भी एयर कंडीशन भवन में बैठकर तुगलकी जांच फरमान जारी कर दिया। जिसे मीडिया ने बढ़-चढ़कर छापा। लेकिन राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा आरती कुजूर ने पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए आज राजनगर का दौरा कर सब कुछ आयने की तरह साफ कर दिया।

      ARTI KUJUR RAJNAGAR POLICE CRIME 11इतना ही नहीं आयोग की अध्यक्षा पीड़ित छात्रा के ससुराल, मायका और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय भी गयी। लगभग 3:30 घंटा आयोग के सदस्यों ने पूरे मामले की गहनता से पड़ताल किया। वहीं आयोग की अध्यक्षा सच्चाई जानने के बाद हैरत में पड़ गई।

      आयोग की अध्यक्ष ने जिले के डीसी, एसपी, जिला शिक्षा अधीक्षक, सीडीपीओ को कड़ी फटकार लगाई और उन्होंने कहा कि सभी ने मिलकर जिला के साथ-साथ राज्य का भी नाम कलंकित कर दिया है।

      उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, और दूसरी तरफ इस तरह की हरकत हो रही है। इससे राज्य सरकार की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने तत्काल छात्रा को कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में भेजने का फरमान जारी किया।

      वहीं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा ने राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष की भूमिका पर कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया। हालांकि उनकी भूमिका को लेकर शसंकित ही नजर आई। इधर 3:30 घंटे की पड़ताल का आयोग ने जो रिपोर्ट तैयार किया है, अगर रिपोर्ट हूबहू सरकार तक पहुंचती है, तो सभी अधिकारियो का नपना तय है।

      JAGRAN FAKE NEWS 2दलाल मीडिया कर्मियों के कारण सच्चाई सामने नहीं आया जिसके चलते इतना बड़ा मामला दब गया था। इधर एक्सपर्ट मीडिया ने पूरे मामले की सच्चाई सामने लाने का प्रयास किया। लेकिन दलाल पत्रकारों ने सभी खबरों को झूठा दिखाया। सबसे दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इनके हाउसों ने भी पूरे मामले की पड़ताल नहीं की, और समाज को सच्चाई से मरहूम रखा। दुर्भाग्य की बात है आखिर बड़े ब्रांड के अखबार इतने गंभीर खबरों पर क्यों नहीं सच्चाई जानने का प्रयास करते हैं।

      बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जब इन दलाल पत्रकारों ने एक निरीह पत्रकार को पूरे मामले का मास्टरमाइंड बताया जिसे अखबारों ने प्राथमिकता दी, और बड़ा- बड़ा हेडिंग देकर उसे बदनाम किया।

      लेकिन सच तो सच होता है आज बाल संरक्षण आयोग की ओर से छात्रा को किसी प्रकार का दबाव तो नहीं डाला गया। आज बड़े- बड़े मीडिया हाउस क्या लिखेंगे ये तो कल समाज जरूर देखने को लिए आतुर होगी।

      क्या है सजा का प्रावधानः

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      अगर आयोग की रिपोर्ट में सच्चाई है तो, बाल विवाह कानून अधिनियम के तहत जिन का भी नाम इस मामले में आता है, उन्हें 2 साल का सश्रम कारावास और  एक लाख का अर्थ दंड लगाने का प्रावधान है।

      ऐसे में जिला प्रशासन, जिला पुलिस, स्थानीय थाना, दलाल मीडियाकर्मी, और राज्य महिला आयोग भी इस मामले में अपराधी हैं। इनकी वजह से राज्य और सरकार की छवि धूमिल हुई है।

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