Home देश बस, एक सुखद अनुभूति का एहसास !

बस, एक सुखद अनुभूति का एहसास !

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वेशक मानवता का अपना एक आशियाना होता है। उसके परिंदें कहीं भी किसी भी परिस्थिति में गुजर-बसर करें, अपनी संवेदनाएं नहीं भूलते। नालंदा जिला बाल किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा की भावनाएं अन्य कईयों के स्वभाव वृति हैं और इसका फैलाव जारी है। ऐसी कई सूचनाएं सामने आई हैं……….”

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गाजीपुर निवासी युवा शक्ति सिंह……………

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निवासी युवा शक्ति सिंह पेशे से सिविल ठेकेदार हैं। अभी उनका काम उत्तरप्रदेश , ओड़िशा  और मध्यप्रदेश में चल रहा है। इन्हें जब भी समय मिलता है तो ईलाहाबाद में अपने दोस्तों के साथ मिलकर सामाजिक कार्य करने की योजना को अमलीजामा जरुर देते हैं।

जैसे गंगा के किनारे जाके सफाई करना। अनाथ बच्चों को खाना खिलाना। उनको कपड़ा देना। सड़क रात गुजारने वाले आसहाय लोगों जरूरी सामग्री देना। ताकि उन्हें यह अहसास न हो कि वे समाज से अलग-थलग हैं और उनकी किसी को परवाह नहीं।

इंजीनियर आलोक तिवारी………..

शक्ति सिंह बताते हैं कि वे छात्र जीवन से ही ये सब काम करते आये है। ज़ब हम हॉस्टल में ‘मानवेन्द्र सर’ के साथ रहते थे तो सर हम सब से चंदा लेके और खुद  भी अपने आप से कुछ न कुछ इंतजाम करके अनाथ आश्रम में जाकर बच्चों को मदद करते थे।

 तब से वे लोग ‘मानवेन्द्र सर’ के दिखाए रास्ते पे चल रहे है। हर फेस्टिवल हम अनाथ बच्चों के साथ मनाते हैं।

इस बार उन्होंने अपनी दीवाली की खुशियां उन बच्चों के बीच बांटी। जो बच्चे दुनिया देख नहीं सकते। दुनिया की सुन नहीं सकते। दुनिया के सामने बोल नहीं सकते। दुनिया में इनके माँ-बाप नहीं हैं। असहाय और असक्षम हैं।

उधर इलाहाबाद में ही पेशे से इंजीनियर आलोक तिवारी भी कुछ वैसे ही प्रेरणा के साथ अपनी दीवाली मनाई। उन्होंने चिल्ड्रेन नेशनल इंस्टीट्यूट स्वराज भवन में संचालित नाबालिग अनाथ बच्चियों के साथ दीपावली के पर्व पर ढूध, फल, सब्जी, ब्रेड व अन्य उपहारों का  वितरण किया।

जब आलोक तिवारी से पूछा गया कि उन्हें ऐसा करने से क्या हासिल होता है?  इस सवाल पर उनका मात्र इतना ही कहना रहा….. बस, असीम सुखद अनुभूति का एहसास!

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